राष्ट्रीय
01-Jun-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। बांग्लादेश के अंतरिम प्रशासन के मुख्य सलाहकार ने 24 मई के इस्तीफे के बाद से एक बात साफ हो गई है, वे आसानी से हार मानने वाले नहीं हैं। नौ माह के कार्यकाल में नोबेल पुरस्कार विजेता और एनजीओ आइकन मोहम्मद यूनुस एक उस व्यक्ति से फिसल गए हैं, जिसे देश ने संभावित उद्धारकर्ता के रूप में स्वागत किया था। फिर भी, एक महत्वपूर्ण राजनीतिक आधार की कमी और लोकप्रियता में भारी गिरावट के बावजूद, यूनुस ने विभिन्न समूहों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर सत्ता पर काबिज रहे। हालांकि बांग्लादेश को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ी। बांग्लादेश में चल रहा ताजा राजनीतिक संकट राष्ट्रीय चुनाव की समय-सारिणी पर केंद्रित है, इसके तहत ढाका में लोकतांत्रिक सरकार स्थापित होगी। एक विरोधाभासी मोड़ में, सेना ने 2025 के अंत तक चुनाव करने की बात कही है। इस मांग का बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) ने भी समर्थन किया है, जिसका नेतृत्व अब बेगम खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान लंदन से कर रहे हैं। वहीं यूनुस ने कहा है कि वे जून 2026 के अंत तक सुधार लाना चाहते हैं, और हसीना शासन के गिरफ्तार नेताओं को न्याय के कटघरे में लाना चाहते हैं। इस समय-सारिणी की लड़ाई के पीछे एक और गंभीर मुद्दा छिपा है। सेना और बीएनपी यूनुस को अंतरिम सरकार का मुखिया मानते हैं, जिसे एक बड़ा काम सौंपा गया है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराना, जो बांग्लादेश में कम से कम एक दशक से गायब है। यह सीमित भूमिका यूनुस की खुद की छवि के अनुरूप नहीं है कि वह बांग्लादेश के उद्धार के लिए मसीहा हैं। जैसा कि उनके प्रेस सचिव ने कहा, अंतरिम प्रशासन को किसी भी पिछली सरकार की तरह ही कार्यकारी शक्तियां प्राप्त हैं। जैसा कि सलाहकार परिषद में यूनुस के दबंग सहयोगी रिजवाना हसन ने कहा, उन्हें केवल चुनाव कराने के लिए नियुक्त नहीं किया गया था। यूनुस के शब्दों में, असली एजेंडा बांग्लादेश का रीसेट करना है। इसी कड़ी में यूनुस और उनके निजी नियुक्त लोग आर्थिक सुधारों को देखते हैं। इसमें चटगांव बंदरगाह का निजीकरण शामिल है। रीसेट के केंद्र के रूप में, लेकिन अन्य लोगों के पास अधिक महत्वाकांक्षी विचार हैं। इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार खलीलुर रहमान का म्यांमार के रखाइन प्रांत में विवादास्पद मानवीय गलियारा शामिल है। इस बांग्लादेश में कई लोग इस क्षेत्र में अमेरिका की प्रत्यक्ष भागीदारी की शुरुआत के रूप में देखते हैं। ये कुछ ऐसा है जिसके बारे में शेख हसीना ने सेंट मार्टिन द्वीप के संदर्भ में चेतावनी दी थी। अपनी ओर से, यूनुस भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को चीन-प्रभुत्व वाले बाजार इमें एकीकृत करने के लिए कुछ मूर्खतापूर्ण योजनाओं का समर्थन करते हैं। नतीजतन, बांग्लादेशी निर्यातकों को अब लगभग 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ रहा है। हालांकि, भारत-विरोधी यूनुस का रिजर्व कार्ड है। फिलहाल, उन्होंने बीएनपी और सेना को अलग-थलग करने के लिए इस्लामवादियों के साथ एक फॉस्टियन सौदेबाजी की है। 1971 के युद्ध अपराधों के लिए मौत की सजा पाए पूर्व रजाकार अजहरुल इस्लाम को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बरी करने में शासन द्वारा की गई बेबाकी बांग्लादेश में उलटी दुनिया का संकेत थी। आशीष दुबे / 01 जून 2025