04-Jun-2025
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नई दिल्ली (ईएमएस)। रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच हाल ही में एक ऐसा वाकया सामने आया है, जिसने आधुनिक युद्ध की दिशा ही बदल दी है। यूक्रेन ने रूस के भीतर करीब 5000 किलोमीटर अंदर तक घुसकर एफपीवी (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन के ज़रिए हमला किया और रूस के कई एयरबेस को भारी नुकसान पहुंचाया। यह हमला न सिर्फ रूस के लिए चेतावनी था, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी एक गंभीर सीख है। यूक्रेन ने यह हमला ट्रकों में लदे एफपीवी ड्रोन के ज़रिए किया, जिन्हें बेहद सटीक और तेज गति से लक्ष्य भेदने के लिए तैयार किया गया था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रशासन ने भी इस हमले से हुए नुकसान की पुष्टि की है। यह हमला यह बताता है कि अब युद्ध सिर्फ सेनाओं या हथियारों के बल पर नहीं, बल्कि तकनीक के बल पर लड़े जा रहे हैं। भारत के लिए क्यों है चेतावनी? भारत के संदर्भ में यह घटना कई मायनों में महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर और पंजाब जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में पाकिस्तान की ओर से ड्रोन घुसपैठ की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। हथियार, ड्रग्स, नकली मुद्रा और जासूसी उपकरण इन ड्रोन के ज़रिए भारत में भेजे जा रहे हैं। हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान द्वारा कश्मीर और पंजाब में ड्रोन हमले की कोशिशों को भारतीय सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया, लेकिन यह साफ हो गया कि भारत को ड्रोन सुरक्षा और आक्रामक क्षमता दोनों को मजबूत करना होगा। तकनीक पर निवेश जरूरी भारत ने बीते वर्षों में ड्रोन रोधी तकनीक पर निवेश जरूर किया है, लेकिन विशेषज्ञों की राय में न सिर्फ रक्षा, बल्कि हमलावर ड्रोन तकनीक को भी विकसित करने की ज़रूरत है। यह दोतरफा रणनीति ही भारत को सुरक्षा और जवाबी कार्रवाई के लिए सक्षम बना सकती है। कुल मिलाकर रूस पर हुआ यूक्रेनी ड्रोन हमला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि आधुनिक युद्ध का संकेत है। भारत को इससे सबक लेना होगा कि सीमाओं की रक्षा अब जमीन पर नहीं, आसमान में भी उतनी ही मजबूत होनी चाहिए। साथ ही, हमें रक्षा और हमले—दोनों पक्षों की तैयारी में संतुलन बनाना होगा, क्योंकि अब युद्ध सिर्फ सैनिक नहीं, मशीनें और माइक्रोचिप्स लड़ रहे हैं। हिदायत/ईएमएस 04 जून 2025