पटना,(ईएमएस)। कांग्रेस नेता राहुल गांधी की बिहार में लगातार सक्रियता सियासी हलकों में चर्चा का विषय बनी हुई है। राहुल गांधी 6 जून को एक बार फिर बिहार के नालंदा में होंगे, जहां वे अति पिछड़ा वर्ग (ओबीसी-ईबीसी) सम्मेलन को संबोधित करेंगे। पिछले पांच महीनों में यह उनका छठा बिहार दौरा होगा, जो कांग्रेस की आक्रामक रणनीति की प्लानिंग को दर्शाता है। लेकिन इस बार सवाल यह है कि क्या राहुल गांधी की यह ‘अकेली उड़ान’ महागठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव से दूरी की वजह से है, या यह कांग्रेस की स्वतंत्र पहचान बनाने की रणनीति का हिस्सा है? कांग्रेस की यह रणनीति बिहार में अपनी खोई हुई जमीन को वापस पाने की कोशिश का हिस्सा है। 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के तहत कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन केवल 19 सीटें जीत सकी थी, जिसके लिए आरजेडी ने कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के बीच दूरी की चर्चाएं सियासी गलियारों में जोर पकड़ रही हैं। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव इस बार कांग्रेस को 30-40 सीटों से ज्यादा देने के मूड में नहीं हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस अपनी रणनीति को तेजस्वी के नेतृत्व पर निर्भर नहीं रखना चाहती। हाल ही में तेजस्वी की ‘माई-बहिन मान योजना’ को कांग्रेस ने अपने बैनर तले लॉन्च कर विवाद खड़ा किया था, जिससे महागठबंधन में तनाव की स्थिति उजागर हुई थी। वीरेंद्र/ईएमएस/05जून2025 --------------------------------