06-Jun-2025
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-नींद मस्तिष्क, मजबूत प्रतिरक्षा, श्रेष्ठ प्रदर्शन के लिए अहम नई दिल्ली (ईएमएस)। आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में समय पर सोना और जागना एक चुनौती बन गई है। खासतौर पर स्कूली बच्चों के लिए यह बहुत ही मुश्किल है। नहीं पूरी नहीं होने से वह डिप्रेशन के शिकार हो रहे हैं। नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के पॉल ने नींद की कमी पर एक अध्ययन जारी कर कहा कि स्कूली बच्चों में से एक-चौथाई पूरी तरह नींद लेने से वंचित हैं, जिससे उनमें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा होने का खतरा है। एक अध्ययन में पाया गया है कि 12 से 18 साल की उम्र के स्कूल जाने वाले बच्चों में नींद की कमी की व्यापकता और यह किस प्रकार संज्ञानात्मक कार्यों को प्रभावित करती है, इस पर फोकस किया गया है। पॉल ने कहा कि नींद मस्तिष्क के कामकाज, मजबूत प्रतिरक्षा, श्रेष्ठ प्रदर्शन और स्मृति के लिए अहम है। यह एक मौलिक जैविक जरुरत है। उन्होंने कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि स्कूली बच्चों में नींद की कमी का स्वास्थ्य पर प्रभाव आज के शैक्षणिक माहौल में एक अहम मुद्दा है। उन्होंने भटकावों, विशेष रूप से स्क्रीन टाइम का जिक्र किया जो नींद में अहम बाधा है। पॉल ने कहा कि बच्चों को बुद्धिमान, सक्षम और कुशल बनाने के लिए सकारात्मक नींद की जरुरत होती है। विशेषज्ञ ने स्वास्थ्य पेशेवरों और नीति निर्माताओं से देश में बच्चों और युवाओं की नींद की स्थिति में सुधार लाने के लिए काम करने का आग्रह किया। इस बीच अध्ययन से पता चला कि 22.5 फीसदी किशोर नींद से वंचित हैं, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए चिंता का विषय है। अध्ययन में शामिल 60 फीसदी लोगों में अवसाद के लक्षण पाए गए जबकि 65.7 फीसदी किशोरों में कम स्तर की संज्ञानात्मक कमजोरी देखी गई। अध्ययन से पता चला है कि स्क्रीन टाइम के अतिरिक्त स्कूल की दिनचर्या और पारिवारिक आदतें भी नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं और दिन में अस्वस्थता में योगदान करती हैं। वरिष्ठ सलाहकार किशोर शिशु रोग विशेषज्ञ ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्ष एक चिंताजनक स्थिति उजागर हुई हैं। कई किशोरों को पर्याप्त नींद नहीं मिल रही है, जो खराब एकाग्रता, भावनात्मक असंतुलन और खराब शैक्षणिक प्रदर्शन से निकटता से जुड़ा हुआ है। अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि स्कूलों, परिवारों और नीति निर्माताओं को किशोरों के विकास के लिए नींद संबंधी स्वास्थ्य को जरुरी मानने की जरुरत है। यह बच्चों और किशोरों के बीच मानसिक स्वास्थ्य हस्तक्षेप की तत्काल जरुरत पर भी प्रकाश डालता है। सिराज/ईएमएस 06 जून 2025