इस्लामाबाद(ईएमएस)। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने ख्वाजा आसिफ ने एक दिन पहले ही शिमला समझौते को लेकर जहर उगला था। अब पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत के साथ द्विपक्षीय समझौतों को रद्द करने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है। यह बात मीडिया की एक खबर में कही गई है। गौरतलब है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही पाकिस्तान के नेता बौखलाए हुए हैं। इसके बाद कई अनाप-शनाप दावे किए जा रहे हैं। हालांकि बाद में पाकिस्तान सरकार को अपने ही नेताओं और मंत्रियों के दावों को नकारना पड़ रहा है। बता दें कि पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने गुरुवार को एक पाकिस्तानी चैनल पर बहस के दौरान कहा था कि शिमला समझौता अब महज एक कागज का टुकड़ा रह गया है। उन्होंने कहाकि इसे ‘मृत दस्तावेज’माना जाना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय ढांचा बिखर जाने की स्थिति पर जोर देते हुए उन्होंने कहा था कि हम 1948 की उसी स्थिति पर वापस आ गए हैं जब संयुक्त राष्ट्र ने संघर्ष विराम और प्रस्तावों के बाद नियंत्रण रेखा को युद्ध विराम रेखा घोषित किया था। इन विवादों को बहुपक्षीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निपटाया जाएगा। उन्होंने कहाकि सिंधु जल संधि समझौता निलंबित हो या न हो, शिमला पहले ही खत्म हो चुका है। बहस के दौरान यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान ने आतंकवादी समूहों का समर्थन, प्रशिक्षण और वित्तपोषण किया है? इसके जवाब में आसिफ ने कहाकि हम अमेरिका और ब्रिटैन समेत पश्चिमी देशों के लिए करीब तीन दशकों से यह काम कर रहे हैं। यह एक गलती थी और हमें इसके लिए भुगतना पड़ा। उन्होंने दावा किया कि दक्षिण एशिया के कई देश पाकिस्तान पर शांति बहाल करने के लिए दबाव बना रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत के साथ तनाव कम होता नहीं दिख रहा है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान ने केवल शिमला समझौते को समाप्त करने की धमकी दी थी। लेकिन ऐतिहासिक समझौते को रद्द करने के लिए बाद में कोई कदम नहीं उठाया गया। अब पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत की हालिया कार्रवाइयों और बयानों ने आंतरिक चर्चाओं को बढ़ावा दिया है। हालांकि पाकिस्तान ने नयी दिल्ली के साथ अपने किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने के लिए कोई औपचारिक या निर्णायक कदम नहीं उठाया है। अधिकारी ने कहा कि फिलहाल, किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है। उन्होंने संकेत दिया कि शिमला समझौते सहित मौजूदा द्विपक्षीय समझौते प्रभावी बने हुए हैं। वीरेंद्र/ईएमएस/06जून2025 -----------------------------------