07-Jun-2025


मुंबई, (ईएमएस)। ‘पति लिफ्ट बनाने वाली कंपनी चलाता है और उसका परिवार अमीर और करोड़पति है। इसलिए, पति के पास पैसे की कमी नहीं होगी। ऐसी स्थिति में, मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा अलग रह रही पत्नी को दिया गया 5 लाख रुपए का मुआवजा बहुत कम है।’ मुंबई के दिंडोशी स्थित सत्र न्यायालय ने यह टिप्पणी की और सीधे तौर पर मुआवजे की राशि को बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दिया। पति को यह बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश देते हुए, कोर्ट ने पत्नी और बेटी के लिए 1 लाख रुपए मासिक गुजारा भत्ता भी 1.5 लाख रुपए तय किया। इस मामले में, 41 वर्षीय अलग रह रही पत्नी गृहिणी है और उसकी बेटी उसके साथ रहती है। जबकि उसके दो बच्चे अलग रह रहे पति के साथ रहते हैं। पत्नी ने अपने पति के खिलाफ घरेलू हिंसा रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया था। मजिस्ट्रेट कोर्ट ने उस मामले में 5 लाख रुपए का मुआवजा और 1 लाख रुपए मासिक गुजारा भत्ता तय किया था। हालांकि, पत्नी ने उस आदेश के खिलाफ सत्र न्यायालय में अपील की थी और कहा था कि मुआवजा राशि बहुत कम है। अपील पर सुनवाई के बाद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एस. जे. अंसारी ने उपरोक्त आदेश पारित किया। महिला ने आरोप लगाया कि ‘विवाह के बाद से यानी दिसंबर 1997 से ही महिला को उसके पति और ससुराल वालों द्वारा शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।’ ‘पति के साथ रहते हुए महिला ने जो शारीरिक और मानसिक शोषण सहा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। उसने जो कुछ सहा, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। साथ ही, महिला का अपने जुड़वां बच्चों से भी रिश्ता खत्म हो गया है। इस तथ्य को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता कि उसके पति ने उन्हें उसके खिलाफ कर दिया है।’ सत्र न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, वह निश्चित रूप से अमीर है और उसके पास खूब पैसा होगा। इसलिए मजिस्ट्रेट न्यायालय द्वारा तय की गई मुआवजे की राशि निश्चित रूप से कम है। संजय/संतोष झा- ०७ जून/२०२५/ईएमएस