गांधीनगर (ईएमएस)| किसान जितना संगठित होंगे और एक-दूसरे की मदद करेंगे, उनकी कृषि उपज का उतना ही बेहतर मूल्य मिलेगा। राज्यपाल आचार्य देवव्रत जी ने प्राकृतिक खेती पर आधारित किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यदि पांच आयामों; बीजामृत, जीवामृत-धनजीवामृत, वापसा, अच्छादान और मिश्रित फसल प्रणाली का उपयोग करके प्राकृतिक खेती की जाए, तो किसान पहले वर्ष में ही रासायनिक उर्वरकों के बराबर उपज प्राप्त कर सकते हैं। प्राकृतिक कृषि आधारित किसान उत्पादक संगठनों की कार्यकुशलता निर्माण के लिए गुजरात प्राकृतिक कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वडताल स्वामीनारायण मंदिर में दो दिवसीय राज्य स्तरीय प्राकृतिक कृषि कार्यशाला का आयोजन किया गया। अगले दिन राज्यपाल आचार्य देवव्रत राजभवन, गांधीनगर से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से बैठक में वर्चुअल रूप से शामिल हुए। उन्होंने किसान उत्पादक संगठनों के प्रतिनिधियों से कहा कि किसानों के सशक्तिकरण के लिए एफपीओ द्वारा विशेष प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। किसान अच्छी गुणवत्ता वाले बीजों का उपयोग करें, जिन किसानों के पास जीवामृत-घनजीवामृत तैयार करने की सुविधा नहीं है, उन्हें गौशाला-पंजरापोल से अच्छी गुणवत्ता वाला जीवामृत-घनजीवामृत प्राप्त हो, इतना ही नहीं, किसान उत्पादक संगठनों को भी पिंजरा-गाय शेड और जैव इनपुट केंद्रों में गुणवत्तायुक्त जैव उर्वरक और ठोस जैव उर्वरक तैयार करने में मार्गदर्शन और मदद करनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि मृदा एवं भूजल की उत्पादकता बढ़ाने, प्रदूषण एवं ग्लोबल वार्मिंग को कम करने, लोगों के स्वास्थ्य में सुधार लाने तथा किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्राकृतिक खेती ही एकमात्र कल्याणकारी समाधान है। रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के कारण हमारी हवा और पानी प्रदूषित हो गए हैं। इतना ही नहीं, हम जो दूध, सब्ज़ियाँ, फल और अनाज खाते हैं, वे भी धीरे-धीरे हमारे शरीर में ज़हर घोल रहे हैं, जिससे कई गंभीर बीमारियाँ होती हैं। आने वाली पीढ़ी के हित के लिए हमें अभी से इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने परिस्थिति की आवश्यकता को देखते हुए सहकारिता, जल एवं पशु विकास के लिए अलग-अलग मंत्रालयों की शुरुआत की। कृषि से संबंधित इन मंत्रालयों का निर्माण अपने आप में यह दर्शाता है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी किसानों और कृषि के प्रति कितने जिम्मेदार हैं। राज्यपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन बनाकर किसानों को आत्मनिर्भर तथा कृषि को समृद्ध बनाने की दिशा में बहुत महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने किसानों से ईमानदारी से जैविक खेती करने की अपील करते हुए कहा कि उपभोक्ताओं का विश्वास जीतना किसानों की जिम्मेदारी है। उपभोक्ता को यह भरोसा होना चाहिए कि उसे जो अनाज, सब्जियां और फल मिल रहे हैं, वे अच्छी गुणवत्ता के हैं। यह पूरी तरह से प्राकृतिक उत्पाद है, इसलिए वे उचित मूल्य देने में संकोच नहीं करेंगे। प्राकृतिक कृषि उत्पादों की मांग भी बहुत है। अगर किसान ईमानदारी से प्राकृतिक खेती करें तो इससे बड़ा कोई पुण्य का काम नहीं है। राज्यपाल ने अनुरोध किया कि किसान उत्पादन संगठन भी किसानों को प्रमाण पत्र प्राप्त करने में सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करें। गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा 97 प्राकृतिक खेती आधारित एफपीओ को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है। दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन इन किसान उत्पादक संगठनों की कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। गुजरात प्राकृतिक कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा 97 प्राकृतिक खेती आधारित एफपीओ को निरंतर मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है। दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन इन किसान उत्पादक संगठनों की कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से किया गया था। दो दिनों तक कई विषय विशेषज्ञों ने मार्गदर्शन प्रदान किया। सतीश/07 जून