भारतीय रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने विगत दिवस बैंक की ब्याज दरों में डबल कटौती कर एक रिकॉर्ड कायम कर लिया है। रिजर्व बैंक के इस निर्णय के बाद शेयर बाजार आसमान में झूमने लगा। बैंक निफ़्टी, रियल्टी, ऑटो सेक्टर रॉकेट की तरह आकाश में कुलाचें भरने लगे हैं। रिजर्व बैंक की इस घोषणा के बाद सेंसेक्स 747 अंकों की वृद्धि के साथ हवा हवाई हो गया। रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने जीडीपी को बढ़ाने के लिए भरपूर प्रयास शुरु कर दिये हैं। शेयर बाजार का भी जीडीपी में बहुत योगदान होता है। बैंकों में नगदी की कमी बनी हुई है। रिजर्व बैंक ने बैंकों को ढाई लाख करोड रुपए की संजीवनी दे दी है। यह संजीवनी सीएसआर में एक फ़ीसदी की कटौती कर के दी है। पहले रेपो रेट की दर चार फ़ीसदी थी। रिजर्व बैंक ने इसे घटाकर तीन फ़ीसदी कर दिया है। जिसके कारण बैंकों के पास लगभग ढाई लाख करोड रुपए अतिरिक्त पहुंच गया है। रिजर्व बैंक ने बैंक रेट को 5.75 फ़ीसदी कर दिया है। इसका लाभ यह होगा कि लोगों को कम ब्याज दर पर लोन मिलेगा। ईएमआई कम होगी। ब्याज कम होने के कारण बैंक अब एफडी सेविंग के ब्याज दरों में कमी करेंगे। इसका तात्कालिक लाभ अर्थव्यवस्था को संभालने और जीडीपी बढ़ाने में कुछ समय के लिये जरूर मिल सकता है। उसका दीर्घकालीन नुकसान होना तय है। बैंकों में यदि फिक्स्ड डिपॉजिट के रूप में कम राशि जमा होगी। ऐसी स्थिति में बैंकों को दौहरा नुकसान उठाना पड़ सकता है। रिजर्व बैंक के उपरोक्त सभी प्रयासों के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था को कोई दीर्घकालीन लाभ मिलने जा रहा हो ऐसा कहीं से दिखता नहीं है। सीएसआर में कटौती करके रिजर्व बैंक ने बैंकों की तरलता को बढ़ा दिया है। कुछ समय के लिए इसका लाभ भारतीय अर्थव्यवस्था को मिल सकता है। लेकिन दीर्घकालीन नुकसान होना तय है। बैंकों ने ब्याज दरों में जो कटौती की है। उसके कारण सस्ते लोन मिलने की आशा बढ़ी है। यह लोन सही हाथों तक पहुंचेगा और बैंकों को वापस लौटेगा, इसमें संदेह है। सरकारी योजनाओं के माध्यम से बैंकों से जो ऋण दिलवाया जा रहा है। उसका एनपीए साल दर बढ़ता ही चला जा रहा है। रिजर्व बैंक ने रेपो रेट घटाकर बैंकों में जिन लोगों का धन जमा है, उनके जोखिम को बढ़ा दिया है। किसी भी बैंक के पास 100 रुपये जमा होंगे, तो उसे मात्र 3 रुपये ही रिजर्व बैंक के पास जमा करके रखने होंगे। बाकी 97 रुपए वह लोन बांट सकेगा। यदि बैंक ऋण समय पर वापस नहीं आता है, तो ऐसी स्थिति में जमाकर्ताओं का जोखिम बहुत बढ़ जाएगा। रिजर्व बैंक ने विदेशी मुद्रा के भंडार को 15 फ़ीसदी तक सीमित रखने का निर्णय लिया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की आयात जरूरतों को देखते हुए यह मुद्रा भंडार आगे चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। अर्थव्यवस्था को लेकर भारतीय रिजर्व बैंक तत्काल प्रभाव को देखते हुए जिस तरह का निर्णय ले रहा है। उसको देखते हुए यही कहा जा सकता है उधार के चंदन से अपने ललाट पर टीका लगाकर रिजर्व बैंक दूसरों को दिखा तो रहा है, लेकिन ना तो टीका हमारा है, ना चंदन हमारा है। आगे चलकर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह स्थिति एक बड़ी चुनौती बन सकती है। इसको ध्यान में रखने की जरूरत है। जमाकर्ताओं का जो धन बैंकों के पास जमा है। बैंक यदि दिवालिया होते हैं, तो ऐसी स्थिति में बीमा से केवल 5 लाख रुपये वापस मिलेगा। इससे जमाकर्ता बैंकों से अपना धन निकालकर रियल स्टेट अथवा सोना-चांदी में निवेश कर रहे हैं। जिसके कारण बैंकों का जोखिम भी बढ़ रहा है। यदि समय रहते गंभीरता से अर्थव्यवस्था को लेकर सही निर्णय नहीं किए गए। इसके दुष्परिणाम आने वाले कई दशकों तक हमें देखने पड़ेंगे। सरकार और रिजर्व बैंक को इस पर गंभीरता से विचार करते हुए दीर्घकालीन निर्णय लेने होंगे। एसजे/ 7 जून /2025