भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस के रुख को दोहराएंगे नई दिल्ली,(ईएमएस)। पहलगाम हमले के बाद भारत ने आतंकवादियों और उनको संरक्षण देने वाले पाकिस्तान को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी। भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर लॉन्च किया। पाकिस्तान और पीओके में मौजूद आतंकवादियों के शिविरों को तबाह कर दिया। पाकिस्तान ने जब भारतीय सैन्य बेस और आमलोगों को निशाना बनाने की कोशिश की तो भारतीय एयरफोर्स ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए पाकिस्तान के 11 एयरबेस को टारगेट कर उसे व्यापक नुकसान पहुंचाया। भारत ने इसके बाद पाकिस्तान के आतंकी चेहरे को बेनाकब करने सभी दलों के सांसदों और डिप्लोमेट्स की 7 टीमें बनाकर उन्हें दुनिया के कई देशों में भेजा। इंडियन डेलिगेशन ने अमेरिका से यूरोप तक का दौरा कर पाकिस्तान के काले चेहरे को दुनिया के सामने बेनकाब कर दिया। अब विदेश मंत्री ए जयशंकर ने खुद कमान संभाल ली है। वे यूरोप की एक सप्ताह की लंबी यात्रा पर निकल गए हैं। द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के साथ ही आतंकवाद का मुद्दा भी एजेंडे पर रहेगा। जयशंकर रविवार 8 जून 2025 को फ्रांस, यूरोपीय यूनियन और बेल्जियम के लिए रवाना हुए। वे यहां एक सप्ताह का वक्त बिताएंगे। इस यात्रा का उद्देश्य भारत की विदेश नीति में आतंकवाद के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस के रुख को दोहराना और प्रमुख रणनीतिक साझेदारों के साथ द्विपक्षीय संबंधों को नई गति देना है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत ने हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर जैसी निर्णायक कार्रवाई की थी। जयशंकर अपने दौरे की शुरुआत फ्रांस से करेंगे। फ्रांस को भारत का ‘ऑल-वेदर फ्रेंड’ माना जाता है। जयशंकर पेरिस और मार्सेई जाएंगे, जहां वे अपने समकक्ष यूरोप और विदेश मामलों के मंत्री से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। वे मार्सेई में हो रहे ‘मेडिटेरेनियन रायसीना डायलॉग’ में भी हिस्सा लेंगे। फ्रांस के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी रक्षा, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में लगातार मजबूत हुई है और इस दौरे से इसमें और मजबूती की उम्मीद की जा रही है। दौरे के दूसरे चरण में विदेश मंत्री एस जयशंकर ब्रसेल्स जाएंगे, जहां वे यूरोपीय संघ की हाई रिप्रेजेंटेटिव के साथ रणनीतिक बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी पिछले कुछ सालों में विविध क्षेत्रों में मजबूत हुई है और इसे इस साल फरवरी में यूरोपीय कमीशन के कॉलेज ऑफ कमिश्नर्स की भारत यात्रा से और बढ़ावा मिला है। जयशंकर यूरोपीय आयोग और यूरोपीय संसद के सीनियर नेताओं से भी मिलेंगे और थिंक टैंकों और मीडिया से संवाद करेंगे। यूरोप के दौरे के अंतिम चरण में जयशंकर बेल्जियम जाएंगे। जहां वे उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री मैक्सिम प्रेवोट से द्विपक्षीय चर्चा करेंगे और अन्य शीर्ष नेताओं से भी मुलाकात करेंगे1 भारत और बेल्जियम के बीच व्यापार, हरित ऊर्जा, फार्मा, हीरा उद्योग और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सहयोग मजबूत रहा है। विदेश मंत्रालय ने बताया कि बेल्जियम के साथ भारत के संबंधों में न केवल आर्थिक साझेदारी बल्कि जन-सामान्य के स्तर पर भी गहराई है। सिराज/ईएमएस 08जून25