रांची(ईएमएस)।धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि पर मांडर के कुंबा टोली एवं बांध टोली के द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित सात पड़हा जतरा में राज्य की कृषि , पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुई। इस मौके पर उन्होंने कहा कि ये आयोजन पुरखों की विरासत को बचाने और बढ़ाने का संकल्प है। पड़हा जतरा में हाथी , घोड़ा,पड़हा निशान, रम्पा,चम्पा,टेंगरी छाता, ढोल नगाड़ा और खोड़हा नृत्य मंडली के समागम ने सबको आकर्षित किया।मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि खोड़हा में नृत्य करते लोग हमारी परम्परा और संस्कृति की अमिट पहचान के गवाह है।साल 2012 से पड़हा जतरा के आयोजन का ही असर है कि यहां की जमीन और जंगल बचाने में हम सफल रहे। आदिवासी समाज हमेशा से ही जमीन और जंगल के संरक्षक की भूमिका अदा करते रहा है।आदिवासी समाज है तो जमीन और जंगल भी बचेगा।मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि रोहतास गढ़ से आए पूर्वजों ने जंगल जमीन को पहले रहने लायक बनाया फिर समाज के संचालन के लिए पड़हा व्यवस्था की शुरुआत की।एक ऐसी व्यवस्था जिसमें सभी के हित की बात थी,सभी के लिए न्याय की व्यवस्था रही। आज उसी पड़हा व्यवस्था को बचाने की जिम्मेवारी आदिवासी समाज के कंधों पर है। इस पड़हा व्यवस्था में सदनों के लिए भी अधिकार सुनिश्चित है।उन्होंने कहा कि पुरखों की बनाई व्यवस्था को समय के साथ और मजबूत करना होगा। आज जरूरत आदिवासी समाज के बीच शिक्षा को प्राथमिकता देने की है। शिक्षित समाज से ही बदलाव संभव है।अगर शिक्षा से दूर रहे तो षड्यंत्रकारी हमें जाति और धर्म में उलझा कर अपना राजनीतिक मकसद साधते रहेंगे। पड़हा जतरा में अध्यक्ष लालू तिर्की,महावीर उरांव,सोनू उरांव,प्रदीप उरांव , उमेश उरांव, दिपुल टोप्पो, संजय तिर्की,पुलिस तिर्की,बंदे उरांव,अनिता तिर्की, कुंदन तिर्की मुख्य रूप से शामिल हुए। कर्मवीर सिंह/09जून/25