हैदराबाद (ईएमएस)। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने आईआईटी हैदराबाद में वैश्विक युवा वैज्ञानिक सम्मेलन और ग्लोबल यंग एकेडमी (जीवाईए) की वार्षिक आम बैठक की अध्यक्षता की। केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि भारत के लिए वसुधैव कुटुम्बकम – एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य – केवल एक नारा नहीं बल्कि जीवन जीने का तरीका है। उन्होंने कहा कि भारत ऐसे विज्ञान में विश्वास करता है जो सहानुभूतिपूर्ण, नैतिक और न्यायसंगत हो। अपने संबोधन के दौरान प्रधान ने रेखांकित किया कि भारत की वैश्विक भागीदारी इन मूल्यों में निहित है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा रोधी अवसंरचना के लिए करार, मिशन लाइफ और भारत विज्ञान और अनुसंधान फेलोशिप जैसी पहलों का हवाला देते हुए कहा कि ये पहल भारत के विश्व बंधुत्व – विज्ञान के माध्यम से वैश्विक मित्रता के विजन का प्रतिबिंब हैं। उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय वैज्ञानिकों, नवोन्मेषकों और नीति निर्माताओं के लिए एक साथ आने और निर्धनतम लोगों को सशक्त बनाने वाले इको-सिस्टम और समाधान का निर्माण करने का उपयुक्त समय है। प्रधान ने विश्वास व्यक्त किया कि यह सम्मेलन दूसरों की सेवा में ज्ञान का प्रसार करने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा। उन्होंने वैज्ञानिकों से विकसित भारत के विजन को साकार करने और मानव-केंद्रित विकास को आगे बढ़ाने के लिए उद्देश्य और सहानुभूति की भावना के साथ सहयोग और सह-निर्माण करने का भी आग्रह किया। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने संबोधन में सम्मेलन में भाग लेने वाले विश्व भर के युवा वैज्ञानिकों का स्वागत किया। प्रधान ने कार्यक्रम के दौरान शामिल किए गए जीवाईए के 30 नए सदस्यों को बधाई दी। उन्होंने इस आयोजन के लिए भारत और आईआईटी, हैदराबाद का चयन करने के लिए ग्लोबल यंग एकेडमी की सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि यह समारोह केवल वैज्ञानिकों का सम्मेलन नहीं है, बल्कि यह आशा, उद्देश्य और साझा नियति का प्रतिनिधित्व करने वाला एक मंच है। केंद्रीय मंत्री ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ पहल के हिस्से के रूप में आईआईटी हैदराबाद परिसर में पौधे लगाए। उन्होंने कहा कि अपनी मां का सम्मान करने के लिए एक पेड़ लगाना भले ही एक छोटा सा कार्य है, लेकिन इसका एक गहरा संदेश और बड़ा प्रभाव है। उन्होंने सभी को, खासकर परिसरों के छात्रों को, इस हरित आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लोगों से एक स्थायी भविष्य के लिए प्रकृति की रक्षा, संरक्षण और पोषण से जुड़ने का आग्रह किया। सुबोध\१०\०६\२०२५
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