-चीन के प्रतिबंधों ने ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री को हिला कर रख दिया नई दिल्ली,(ईएमएस)। रेयर अर्थ्स की कमी के चलते मारुति सुजूकी ने अपनी पहली इलेक्ट्रिक कार ई-विटारा के नियर टर्म प्रोडक्शन टारगेट को दो-तिहाई कम कर दिया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक डॉक्यूमेंट से पता चला है कि चीन के निर्यात प्रतिबंध ने ऑटो इंडस्ट्री के सामने संकट पैदा कर दिया है। भारत की टॉप कार मेकर मारुति सुजूकी अब अप्रैल और सितंबर के बीच करीब 8,200 ई-विटारा बनाने की योजना बना रही है, जबकि वास्तविक टारगेट 26,500 था। इससे पहले सोमवार को कंपनी ने कहा था कि उसने अभी तक सप्लाई पर रेयर अर्थ मेटल्स के संकट से कोई असर नहीं देखा है। रिपोर्ट में डॉक्यूमेंट के मुताबिक कंपनी ने रेयर अर्थ्स मैटीरियल्स में सप्लाई की कमी का हवाला दिया। ये मैग्नेट और अलग-अलग तरह की हाईटेक इंडस्ट्रीज में अन्य कम्पोनेंट को बनाने के लिए जरूरी है। डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि मारुति अभी भी मार्च 2026 को समाप्त होने वाले साल के लिए 67,000 ईवी के अपने प्रोडक्शन टारगेट को बाद के महीनों में प्रोडक्शन बढ़ाकर पूरा करने की योजना बना रही है। कुछ रेयर अर्थ्स निर्यातों पर चीन के प्रतिबंधों ने ग्लोबल ऑटो इंडस्ट्री को हिला दिया है। कंपनियों ने सप्लाई चेन पर गंभीर असर पड़ने की बात कही, जबकि अमेरिका, यूरोप और जापान की कुछ कंपनियों को बीजिंग से लाइसेंस मिलने के बाद सप्लाई में आसानी दिख रही है। भारत अभी भी चीन की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। मारुति ने जनवरी में ऑटो एक्सपो में ई-विटारा को पेश किया था। यह देश में मारुति के ईवी पुश के लिए अहम है। मोदी सरकार ने 2030 तक कुल ऑटो सेल्स में ईवी सेल्स 30 फीसदी तक करने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले साल करीब 2.5 फीसदी थी। इस झटके से पैरेंट कंपनी सुजूकी मोटर को भी नुकसान हो सकता है। सुजूकी के लिए भारत रेवेन्यू के हिसाब से सबसे बड़ा बाजार है और ईवी के लिए एक ग्लोबल प्रोडक्शन केंद्र। भारत में बनी ज्यादातर ई-विटारा को सुजूकी द्वारा 2025 की गर्मियों के आसपास यूरोप और जापान जैसे अपने प्रमुख बाजारों में निर्यात के लिए टारगेट किया है। मारुति ने पिछले सप्ताह बताया था कि रेयर अर्थ्स मुद्दे का ई-विटारा की लॉन्च समय-सीमा पर कोई फिजिकल असर नहीं पड़ा है। सिराज/ईएमएस 11जून25