नई दिल्ली, (ईएमएस)। एआईएमआईएम प्रमुख और सांसद असदुद्दीन ओवैसी पूरी दुनिया में छाए हुए हैं। उन्होंने पाकिस्तान को उसकी औकात दिखा दी। दुनिया को बता दिया कि भारत का मुसलमान अपने वतन के लिए मिटना भी जानता है और दुश्मन देश को मिटाना भी। दुनिया के कई देशों में जब ओवैसी के अंदाज की चर्चा हुई तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गदगद हो गए। इसी खुशी में उन्होंने अपने आधिकारिक आवास पर भारतीय प्रतिनिधिमंडल को भोज पर आमंत्रित किया। इस मौके पर जब ओवैसी दिखाई नहीं दिए तो कानाफूसी शुरु हो गई। सभी के जुबान पर एक ही सवाल था ओवैसी साहब दिखाई नहीं दे रहे। मीडिया से लेकर सियासी गलियों तक में चर्चा गर्मा गई। पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के डेलिगेशन से मंगलवार शाम को मुलाकात की। इस मुलाकात में ऑपरेशन सिंदूर वाले डेलिगेशन के सभी प्रमुख चेहरे मौजूद थे। मसलन शशि थरूर, सुप्रिया सुले और कनिमोझी। मगर इस मुलाकात में वह शख्स नहीं दिखा, जिसकी हुंकार से पाकिस्तान को सबसे अधिक मिर्ची लगी। जी हां, हम बात कर रहे हैं असदुद्दीन ओवैसी की। एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी मंगलवार शाम पीएम नरेंद्र मोदी के आधिकारिक निवास पर हुई सर्वदलीय बैठक से गायब थे। इस बैठक में अलग-अलग राजनीतिक दलों के वे सभी नेता शामिल हुए थे, जो हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की वैश्विक पहल के हिस्से के रूप में विदेश दौरे से लौटे थे। अब सवाल है कि आखिर ओवैसी ऑपरेशन सिंदूर के डेलिगेशन के लिए आयोजित पीएम मोदी की सर्वदलीय बैठक में क्यों नहीं गए? इसका कारण खुद ओवैसी ने बता दिया है। असदुद्दीन ओवैसी ने बताया कि आखिर किस कारण से उन्हें बैठक से दूर रहना पड़ा। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने एक करीबी रिश्तेदार और बचपन के दोस्त की मेडिकल इमरजेंसी के कारण दुबई जाना पड़ा। उन्होंने अपनी स्थिति के बारे में अपने ऑपरेशन सिंदूर वाले डेलिगेशन के नेता बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा को पहले ही सूचित कर दिया था। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को विभिन्न देशों का दौरा कर वापस लौटे प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से मुलाकात की। इस मुलाकात में सांसदों, पूर्व सांसदों और प्रतिष्ठित राजनयिकों ने भाग लिया, जिन्होंने हाल ही में कई देशों का दौरा कर भारत का प्रतिनिधित्व किया था। ये मुलाकात प्रधानमंत्री मोदी के आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर हुई। इन 7 प्रतिनिधिमंडलों में सभी दलों के सांसदों के साथ-साथ पूर्व सांसद और अनुभवी राजनयिक शामिल थे। इन सभी ने अपने-अपने दौरे के अनुभव साझा किए और बताया कि किस प्रकार उन्होंने विभिन्न राष्ट्रों में भारत के दृष्टिकोण और मूल्यों को मजबूती से प्रस्तुत किया। प्रतिनिधियों ने बताया कि उन्होंने अपने विदेशी दौरों में आतंकवाद के खिलाफ भारत के कठोर रुख और वैश्विक शांति के प्रति भारत की गहरी प्रतिबद्धता को प्रमुखता से उजागर किया। उन्होंने यह भी बताया कि इन मुलाकातों के दौरान भारत की साख और विश्व में उसका प्रभाव और मजबूत हुआ। बता दें कि अलग-अलग दलों के सांसदों के प्रतिनिधिमंडलों के कुल 7 समूह ने अलग-अलग देशों का दौरा कर आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस की नीति को सामने रखा। भारत की सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद सरकार ने प्रतिनिधिमंडल को विदेश दौरे पर भेजने का फैसला किया था। ऑपरेशन सिंदूर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए 26 पर्यटकों पर हमले के बाद भारत की प्रतिक्रिया थी। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने 33 से अधिक देशों का दौरा किया। इन दलों ने 33 देशों की राजधानियों और यूरोपीय संघ के मुख्यालय का दौरा किया। वीरेंद्र/ईएमएस/11जून2025