राष्ट्रीय
12-Jun-2025
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नई दिल्ली,(ईएमएस)। देश के करोड़ों युवाओं के बीच क्रिकेट का जुनून अब मनोरंजन की सीमा से आगे निकल चुका है। यह खेल अब केवल स्टेडियम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि स्पोर्ट्स चैनलों, मोबाइल ऐप्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के जरिए दिन-रात युवाओं की दिनचर्या में शामिल हो गया है। खासकर आईपीएल जैसे टी20 फॉर्मेट ने क्रिकेट को रोमांच, पैसा और सट्टे का खतरनाक मिश्रण बना दिया है, जो तेजी से युवाओं को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। इसके दुष्परिणाम भी अब सामने आने लगे हैं। यूं तो भारत में क्रिकेट का इतिहास सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। प्रारंभ में राजा-महाराजाओं और कंपनी सरकार के लिए शौकिया खेल हुआ करता था, लेकिन बदलते दौर और वैश्विक घटनाक्रम के परिणाम स्वरुप क्रिकेट जेंटलमेन गेम बन गया। अब जबकि दुनियां के देश तकनीकी युग के चरम पर पहुंच चुके हैं तो क्रिकेट भी इससे अछूता नहीं है और अब यह युवाओं के जुनून में शामिल हो गया है। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में क्रिकेट के दर्शकों की संख्या लगभग 69 करोड़ को पार कर चुकी है। यह संख्या सालभर क्रिकेट से जुड़े आयोजनों और उनके निरंतर प्रसारण के चलते बनी है। हर दिन किसी न किसी देश में क्रिकेट मैच खेला जा रहा होता है और स्पोर्ट्स चैनल्स इन्हें लाइव दिखाते रहते हैं। इससे युवाओं में एक नशे की तरह क्रिकेट देखने और उससे जुड़ने की आदत बनती जा रही है। ऑनलाइन गैमिंग का बढ़ा चलन हालांकि चिंता की बात यह है कि इस खेल के साथ-साथ सट्टेबाजी और ऑनलाइन गैमिंग का चलन भी तेजी से बढ़ा है। क्रिकेट मैचों पर ऑनलाइन सट्टा लगाने वाले युवाओं की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। फैंटेसी लीग से लेकर बेटिंग ऐप्स तक, युवाओं के मोबाइल में अब ये प्लेटफॉर्म आम हो चुके हैं। बेरोजगार युवा, जो पहले रोजगार की तलाश में समय लगाते थे, अब दिनभर क्रिकेट देखने और उस पर दांव लगाने में व्यस्त नजर आते हैं। वर्तमान में ऑनलाइन क्रिकेट गेम कई प्लेटफ़ॉर्म पर उपलब्ध हैं, जैसे कि मोबाइल ऐप, गेमिंग कंसोल और कंप्यूटर। ये गेम बहुत ही आसानी से खेलने के लिए उपलब्ध हैं, जिससे युवाओं के लिए क्रिकेट खेलना और भी आसान हो जाता है। लुभाने वाले हैं ये गेम ऑनलाइन क्रिकेट गेम में विभिन्न प्रकार के गेम उपलब्ध हैं, जो कि युवा वर्ग के साथ ही अन्य को भी खासे लुभाते दिखते हैं। ऐसे ही ऑनलाइन क्रिकेट गैम्स में क्लासिक क्रिकेट, टी20 क्रिकेट, और कई अन्य के नाम लिए जा सकते हैं। ये गेम विभिन्न कठिनाई स्तरों के साथ आते हैं, जो युवाओं को अपने कौशल के अनुसार गेम चुनने की सुविधा प्रदान करते हैं। इस प्रकार जो युवा पहले कभी आउट डोर स्टेडियम या खेल मैदान में जोकर क्रिकेट देखने और खेलने का शौकीन हुआ करता था, आज वह ऑनलाइन घर या किसी क्लब और होटल के कमरे में बैठे-बैठे इसे देखता, खेलता और सट्टा लगाता नजर आता है। इस प्रकार युवाओं को यह गेम अब निकम्मा बनाने में सहायक साबित हो रहा है, जो देश व समाज के लिए एक बड़ी चिंता का विषय होता जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह स्थिति सामाजिक और आर्थिक दोनों ही दृष्टिकोण से खतरनाक है। युवा वर्ग का ध्यान शिक्षा, कौशल विकास और रोजगार जैसे आवश्यक क्षेत्रों से हटकर सट्टा और फालतू गतिविधियों की ओर बढ़ रहा है। इससे वे न केवल मानसिक और आर्थिक नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि देश की उत्पादक शक्ति भी प्रभावित हो रही है। वर्तमान में जिस तेजी से क्रिकेट और उससे जुड़े सट्टे का प्रभाव युवाओं पर बढ़ रहा है, उससे निपटने के लिए सरकार और समाज दोनों को मिलकर प्रयास करने होंगे। वरना आने वाले वर्षों में यह आदत युवाओं को पूरी तरह निकम्मा और दिशाहीन बना सकती है। हिदायत/ईएमएस 12जून25