लंदन (ईएमएस)। भारत में 15 से 49 वर्ष की उम्र के 22.4 प्रतिशत पुरुष और 0.7 प्रतिशत महिलाएं शराब का सेवन करती हैं। राष्ट्रीय पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक, यह प्रतिशत अलग-अलग राज्यों में भिन्न है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, गोवा और तेलंगाना में पुरुषों द्वारा शराब पीने की दर सबसे अधिक पाई गई है। जब समाज का एक बड़ा वर्ग शराब का सेवन कर रहा हो, तो यह जानना भी जरूरी हो जाता है कि शराब के कौन-से प्रकार स्वास्थ्य की दृष्टि से अपेक्षाकृत कम नुकसानदायक हो सकते हैं। हालांकि कोई भी शराब पूरी तरह सुरक्षित नहीं है, फिर भी एल्कोहॉल कंटेंट के आधार पर कुछ विकल्प तुलनात्मक रूप से ‘बेहतर’ माने जा सकते हैं। बीयर को एल्कोहॉल की मात्रा कम होने के कारण एक हल्का विकल्प माना जाता है। इसमें कुछ खनिज और विटामिन्स भी होते हैं, लेकिन ज़्यादा मात्रा में सेवन से वजन बढ़ सकता है और लीवर को नुकसान हो सकता है। साइडर, जो सेब से बनती है और 4-7 प्रतिशत एल्कोहॉल युक्त होती है, स्वाद में हल्की और फाइबर युक्त होती है। इन दोनों विकल्पों को कभी-कभार सीमित मात्रा में पीने पर कम हानिकारक माना जाता है। वाइन, खासकर रेड वाइन, 11-13 प्रतिशत एल्कोहॉल कंटेंट के साथ आती है और इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स जैसे रेस्वेराट्रॉल दिल की सेहत के लिए थोड़ा फायदेमंद हो सकता है। लेकिन इसे भी सीमित मात्रा, यानी एक ग्लास तक ही सीमित रखना चाहिए। इसके विपरीत वोडका और व्हिस्की में एल्कोहॉल की मात्रा 35-50 प्रतिशत के बीच होती है, जो कि स्वास्थ्य पर गहरा असर डाल सकती है। ये केवल संयम में ही पीनी चाहिए, और विशेषकर नियमित रूप से नहीं। अंत में यही कहा जा सकता है कि शराब का कोई भी रूप पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। यदि कभी पीना हो, तो हल्के विकल्प और सीमित मात्रा को चुनना बेहतर है। लेकिन सबसे समझदारी भरा कदम यही होगा कि शराब से पूरी तरह दूरी बनाई जाए, क्योंकि थोड़ी नहीं, बिल्कुल नहीं शराब से दूरी ही समझदारी है। मालूम हो कि भारत में शराब पीना अब केवल एक आदत नहीं, बल्कि कई जगहों पर सामाजिक स्वीकृति का हिस्सा बन चुका है। हालांकि, स्वास्थ्य विशेषज्ञ बार-बार चेताते हैं कि शराब का सेवन शरीर के लिए हानिकारक है। सुदामा/ईएमएस 15 जून 2025