ईरान और इजराइल के बीच युद्ध तेज हो गया है, यह टकराव इतिहास में एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। इजराइल ने ईरान पर सुनयोजित रूप से कई परमाणु ठिकानों पर हमले किए। रिफाइनरी, एयरबेस, न्यूक्लियर ठिकानों से लेकर रेजिडेंशियल इलाकों मे इजराइल ने ईरान के कई इलाकों में भारी तबाही मचाई थी। जैसे ही रात का अंधेरा फैला, ईरान ने इजरायल के ऊपर जवाबी कार्रवाई की। ईरान के हमले से इजराइल कांप उठा। इजराइल को इस तरह के हमले की जरा भी उम्मीद नहीं थी। खासकर हाइफा पर हुए मिसाइल हमलों ने इजरायल के आर्थिक और सैन्य ढांचे को हिलाकर रख दिया। हाइफा पर भारत के अडानी समूह का नियंत्रण है। जहां इजराइल की सबसे बड़ी रिफाइनरी और प्रमुख पोर्ट स्थित हैं। हाइफा मे अब चारो ओर आग धधक रही है। पूरा हाईफा आग में झुलस रहा है। इससे अडानी समूह को भारी नुकसान हुआ है। वहीं इजराइल को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा है। ईरान ने पहली बार हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रयोग किया। जिससे इजराइल के एयर डिफेंस सिस्टम की नाकामी उजागर हो गई है। इस हमले में इजरायल की कई इमारतें धराशायी हो गईं हैं। सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। इजराइल के सभी क्षेत्रों में भय का माहौल देखने को मिल रहा है। इन हमलों से घबराए प्रधानमंत्री नेतन्याहू बंकर में जाकर छिप गये है। ईरान के जवाबी हमले इजराइल के लिए यह स्पष्ट संकेत है। ईरान के साथ यह लड़ाई अब आसान नहीं है। इजराइल कई वर्षों से हिजबुल्ला, हमास जैसे संगठनों से लड़ता आया है। ईरान का यह जो जवाबी हमला था, उसके सामने अब इजरायल पहली बार असहज हो गया है। अभी तक यह माना जाता था कि इजराइल का मुकाबला करने की स्थिति किसी के पास नहीं है। इजराइल के पास बाहरी हमलो को रोकने और दूसरे देशों में हमले करने की जो तकनीकी है। उसका कोई भी देश मुकाबला नहीं कर सकते हैं। ईरान के इस हमले से यह धारणा अब टूट गई है। अमेरिका की 7.4 अरब डॉलर की आपात मदद और मिसाइल आपूर्ति के बावजूद इजराइल के लिए यह युद्ध अब आसान नहीं रहा। चीन और रूस का खुला समर्थन ईरान को मिल रहा है। जिससे यह टकराव वैश्विक राजनीतिक लड़ाई में बदलता जा रहा है। भारत ऐतिहासिक रूप से ईरान का सहयोगी रहा है। भारत और ईरान के बीच हजारों वर्ष पुराने संबंध हैं। इस युद्ध में कूटनीतिक रूप से भारत निष्क्रिय और असमंजस की स्थिति में दिखाई दे रहा है। भारत की चुप्पी और ईरान से दूरी, चीन को मध्य-पूर्व में ताकतवर शक्ति के रूप में स्थापित कर रही है। भारत को समझना होगा, संतुलित और गुटनिरपेक्ष विदेश नीति ही भारत की पहचान रही है। वर्तमान में भारत का इजरायल के प्रति एकतरफा झुकाव न केवल भारत की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाएगा। हमारी क्षेत्रीय भूमिका को भी वैश्विक स्तर पर कमजोर करेगा। इसका फायदा चीन उठा रहा है। जरूरत इस बात की है, भारत स्पष्ट रुख अपनाए। वर्तमान में अमेरिका और इजरायल जिस तरह से एकजुट होकर सारी दुनिया के देशों को धमका रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से सारी दुनिया के देशों को टैरिफ बार के जरिए कंट्रोल करना चाहते थे। उसको लेकर अमेरिका का विरोध सारी दुनिया में बढा है। अमेरिका के मुकाबले चीन सबसे सशक्त भूमिका में नजर आने लगा है। पिछले दो दशक में चीन ने बिना किसी विवाद में पड़े, अपने व्यापार और कारोबार को तेजी के साथ बढ़ाया है। एशियाई देशों में समझौते के माध्यम से बहुत बड़े भूभाग पर चीन ने कब्जा किया है। चीन आर्थिक सामरिक और कूटनीति मे बड़ा शक्तिशाली हुआ है। भारत ही एक ऐसा देश है जो चीन के मुकाबले में खड़ा हो सकता है। चीन की कोशिश हमेशा भारत को आगे बढ़ने से रोकने की होती है। डोनाल्ड ट्रंप जिस तरीके की दादागिरी कर रहे हैं। उसको रोकने के लिए अब चीन और रूस जैसे शक्तिशाली देश ईरान के समर्थन में आकर खड़े हो गए हैं। जिसके कारण ईरान की स्थिति मजबूत हुई है। भारत की ईरान को लेकर चुप्पी, इजराइल के प्रति असाधारण प्रेम, पिछले दो वर्षों से फिलिस्तीन पर इजराइल के हमले से लाखों लोगों की मौत पर भारत की अनदेखी से भारत वैश्विक मंच पर बहुत कमजोर हुआ है। भारत के अपने पड़ोसी देशों के साथ संबंध खराब हुए हैं। ईरान जैसे देश के साथ हमारे वह रिश्ते नहीं रहे, जो पहले थे। युद्ध के खिलाफ, मानवता और कूटनीति का संतुलन भारत को हमेशा विशिष्ट बनाता रहा है। कुछ वर्षों में भारत वैश्विक स्तर पर काफी कमजोर हो गया है। चीन का प्रभाव बड़ी तेजी के साथ बढा है। ऐसी स्थिति में भारत को अपनी विदेश नीति, पड़ोसियों के साथ संबंध तथा दो सांड़ों की लड़ाई में भारत को कैसे सुरक्षित रखना है। इसके लिए सोच समझकर निर्णय लेने होंगे। चुप्पी साधने से कोई मामला हल नहीं होगा। जिस तरह की वैश्विक स्थितियां बन रही हैं उसमें तीसरे विश्व युद्ध की आशंका व्यक्त की जाने लगी है। ऐसी स्थिति में भारत की भूमिका अभी भी बहुत महत्वपूर्ण हो सकती है। भारत सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरूरत है। ईएमएस / 15 जून 25