अंतर्राष्ट्रीय
15-Jun-2025


तो मचेगी भीषण तबाही! नई दिल्ली(ईएमएस)। इजराइल और ईरान दोनों देश इस समय युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं। दोनों ओर से ताबड़तोड़ मिसाइलें बरसाई जा रही हैं। दोनों मुल्कों के कई शहरों में तबाही मची है। इजराइल चुन-चुनकर ईरान के न्यूक्लियर और सैन्य ठिकानों के साथ-साथ अन्य प्रतिष्ठानों पर हमला कर रहा है। जवाब में ईरान ने इजराइल के रिहायशी ठिकानों को निशाना बनाया है। तेल अवीव और हाइफा जैसे इजराइली शहर मलबे में तब्दील हो गए हैं। इस बीच इजराइल ने अमेरिका से ईरान के खिलाफ जंग में साथ देने को कहा है। इजराइल ने औपचारिक रूप से अमेरिका से अनुरोध किया है कि ईरान के फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट पर हमला करने के लिए वह साथ दे। लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फिलहाल ईरान के खिलाफ इजराइल की इस जंग में सीधे तौर पर शामिल होने से इनकार कर दिया है। ईरान से जंग के 48 घंटे बीतने के बाद इजराइली अधिकारियों ने अमेरिका से गुहार लगाई है कि ईरान के यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को निशाना बनाने के लिए मदद करे। इस न्यूक्लियर प्लांट के अंडरग्राउंड होने की वजह से इजराइल इसे नष्ट करने में असक्षम है। फोर्डो न्यूक्लियर प्लांट की खासियत फोडो ईरान के प्रमुख न्यूक्लियर प्लांट में से एक है। यह प्लांट यूरेनियम को संवर्धित करने के लिए सेंट्रीफ्यूज का उपयोग करता है, जिससे यूरेनियम को उच्च शुद्धता के स्तर तक पहुंचाया जाता है। स्नशह्म्स्रश2 में लगभग 2000 सेंट्रीफ्यूज हैं, जिनमें से अधिकतर ढ्ढक्र-6 मॉडल हैं। इनमें से करीब 350 सेंट्रीफ्यूज 60 फीसदी शुद्धता तक यूरेनियम संवर्धन करते हैं। फोडो को विशेष रूप से इसकी भौगोलिक स्थिति और डिजाइन की वजह से रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसे हवाई हमलों से बचने के लिए बनाया गया है। यह न्यूक्लियर प्लांट ईरान के कोम शहर के उत्तर-पूर्व में लगभग 32 किलोमीटर की दूरी पर है। यह प्लांट इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गाड्र्स कॉप्र्स के एक सैन्य अड्डे पर बनाया गया है। इसे पहाड़ के नीचे पूरी तरह से अंडरग्राउंड बनाया गया है। इसकी लोकेशन इसे हवाई हमलों से सुरक्षित बनाती है। इजराइल के अनुरोध पर क्या है अमेरिका का रुख अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप फिलहाल ईरान के खिलाफ खुलकर मैदान में उतरने के मूड में नहीं है। ट्रंप प्रशासन बार-बार ईरान के खिलाफ इजराइल का सीधे तौर पर साथ देने से इनकार कर रहा है। अमेरिका का पूरा फोकस फिलहाल इस क्षेत्र में अमेरिकी संपत्तियों को सुरक्षित रखने पर है। अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि इजराइल फिलहाल अपने दम पर ईरान से लोहा ले। साथ ही उन्होंने ईरान को चेताया भी वह क्षेत्र में किसी भी अमेरिकी सैन्यकर्मी को नुकसान पहुंचाने से बचे। व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ईरान पर इजराइल जो भी हमला करेगा, उसे रोका नहीं जाएगा। लेकिन हम चाहते हैं कि ईरान इस जंग से बचने के लिए बातचीत की टेबल पर आए। अगर अमेरिका, ईरान के खिलाफ इजराइल का साथ देगा तो क्या होगा? अगर अमेरिका इस जंग में ईरान के खिलाफ इजराइल का खुलकर साथ दे देता है तो इसे मिडिल ईस्ट में तनाव बेतहाशा बढ़ेगा। पूरा मिडिल ईस्ट सीधे तौर पर युद्ध की आग में ना चाहते हुए भी झोका जाएगा। ईरान ने कसम खाई है कि इस जंग में जो भी देश इजराइल की मदद करेगा, तेहरान उस पर भी हमला करेगा। मिडिल ईस्ट में लगभग 40 हजार अमेरिकी सैनिक हैं। ऐसी स्थिति में उन पर मिसाइल या प्रॉक्सी हमले का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा परशियन गल्फ और रेड सी में अमेरिकी सैन्यअड्डों, दूतावासों और नैसैनिक पोतों पर हमले का अंदेशा तुरंत बढ़ेगा। खतरा यहीं नहीं रुकेगा। ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को रोकने के लिए राजनयिक समाधान की संभावनाएं लगभग-लगभग खत्म हो जाएगी। विश्लेषकों का कहना है कि ईरान पूरी तरह से परमाणु अप्रसार संधि से बाहर निकल सकता है और अपने परमाणु कार्यक्रमों को युद्धस्तर पर तेज कर सकता है, जिससे क्षेत्र में तनाव बढ़ेगा। इसके परिणाम और भी खतरनाक हो सकते हैं। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज पर इसका असर पड़ेगा। यह फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और अरब सागर से जोड़ता है। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण समुद्री मार्गों में से एक है, जहां से वैश्विक कच्चे तेल का 20 से 30 फीसदी निर्यात होता है। सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, इराक और कतर जैसे देश अपने तेल और गैस निर्यात के लिए इसी स्ट्रेट ऑफ होर्मुज का इस्तेमाल करते हैं। अमेरिका के सीधे इस युद्ध में शामिल होने से यह समुद्री मार्ग भी वॉर जोन बन जाएगा, जिससे तेल की कीमतें बेतहाशा बढ़ेगी और वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचेगी। प्रधानमंत्री नेतन्याहु इजऱाइल छोडक़र भागे? इजराइल और ईरान के बीच जारी तनाव के बीच एक बड़ी चौंकाने वाली खबर ने सनसनी फैला दी है। विभिन्न मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहु विशेष विमान से अज्ञात स्थल के लिए रवाना होते हुये देखा गया है। जिससे अटकलें तेज हो गईं हैं,वह इजऱाइल छोडक़र फरार हो गए हैं। मनीकंट्रोल और टीवी भारतवर्ष जैसे प्लेट फॉम्र्स पर यह खबर चर्चाओँ में है। नेतन्याहु ग्रीस की ओर रवाना हुए हैं। अभी तक इजऱाइल की ओर से कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। ईरान द्वारा हाल ही में इजऱाइल के आयरन डोम सिस्टम पर किए गए हमलों और दो एफ-35 लड़ाकू विमानों को मार गिराने की खबरों से इजराइल में भय के माहौल ने स्थिति को तनावपूर्ण बना दिया है। ऐसे समय में यदि नेतन्याहु का देश से बाहर जाना यदि सत्य होता है। इसका असर इजऱाइली सेना के मनोबल पर गंभीर असर डाल सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इजराइल की सेना मैं भगदड़ मचना तय है। कुछ विश्लेषक इसे एक सैन्य रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं। जब तक इस खबर की पुष्टि नहीं होती है। तब तक वैश्विक स्तर पर जो अफरा तफरी का माहौल बना है। उसके बहुत बड़े दुष्परिणाम भी सामने देखने को मिल सकते हैं। विनोद उपाध्याय / 15 जून, 2025