अंतर्राष्ट्रीय
16-Jun-2025
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वाशिंगटन (ईएमएस)। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई अब सिर्फ तकनीक की दुनिया तक सीमित नहीं रह गया है। अब यह धीरे-धीरे हमारे जीवन के अहम हिस्सों में भी शामिल हो रहा है। इसके अलावा अब यह मॉडर्न तकनीकी हेल्थ सेक्टर में भी तेजी से इस्तेमाल हो रहा है। हेल्थ सेक्टर में डिप्रेशन को लेकर काफी बड़ी चिंता सामने आती है। इसीलिए यह सवाल उठता है कि क्या एआई के टूल्स डिप्रेशन से लड़ने में हमारी मदद कर सकते हैं या नहीं? एक शोध के मुताबिक भारत में वर्तमान में 35 प्रतिशत लोग किसी न किसी मानसिक बीमारी से परेशान हैं l एक खास एप तैयार किया है, जो एआई की मदद से काम करता है। यह एप यूजर से कुछ सवाल करता है और उनकी आवाज व जवाबों के विश्लेषण से यह समझने की कोशिश करता है कि क्या वह डिप्रेशन की चपेट में है। यह तरीका शुरुआती जांच के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है खासकर उन लोगों के लिए जो खुद को बीमार मानने को तैयार नहीं होते। लेकिन हालिया अध्ययन में बताया गया कि एआई आधारित चैटबॉट दवाओं या इलाज के बारे में हमेशा सटीक जानकारी नहीं देते। कई बार इनके हमले इतने ज्यादा मुश्किल होते हैं कि उन्हें समझना काफी ज्यादा मुश्किल हो जाता हैl एआई की मदद से भले शुरुआती पहचान आसान हो जाए लेकिन डिप्रेशन का सही इलाज इंसानी समझ और भावनाओं से ही होता है। समय पर दवा, काउंसलिंग, अपनों का साथ, पॉजिटिव सोच, योग और एक्सरसाइज ये सभी चीजें मिलकर डिप्रेशन को दूर करने में काम आती हैं। आशीष/ईएमएस 16 जून 2025