:: इन्दौर सहित राज्य के विभिन्न स्थानों पर चलाए जा रहे छात्रावासों में रहकर पढ़ाई कर रहे पांच हजार से अधिक बालक-बालिकाएं :: इन्दौर (ईएमएस)। इन्दौर सहित प्रदेश के 13 स्थानों पर चल रहे आर्ष विद्या भारती एवं एम फॉर सेवा के छात्रावास भवनों में रहकर अपनी शिक्षा-दीक्षा और लालन-पालन करा रहे 5 हजार से अधिक छात्रों के लिए अगले शिक्षा सत्र में और अधिक सुविधाएं मिल सकेंगी। नया शिक्षा सत्र प्रारंभ हो चुका है। इन्दौर के नवलखा, शिवमोती नगर में नवनिर्मित तीन मंजिला भवन के लोकार्पण एवं पिछले माह गृह प्रवेश के बाद इन सभी 13 स्थानों पर चल रहे छात्रावासों तक पहुंचना और छात्रों के लिए उपयोगी सामग्री एवं संसाधन पहुंचाना अब और अधिक सुगम हो जाएगा। इन्दौर में खंडवा रोड पर चल रहे छात्रावास भवन में फिलहाल 56 छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। अन्य स्थानों के छात्रावास में असम, त्रिपुरा और पूर्वोत्तर भारत के विभिन्न शहरों एवं कस्बों के बालक-बालिकाएं भी इन सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। आर्ष विद्या भारती ट्रस्ट एवं आल इंडिया मूवमेंट फॉर सेवा के प्रदेश प्रमुख स्वामी ऐश्वर्यानंद सरस्वती एवं उनके सहयोगी स्वामी कृष्णानंद के मार्गदर्शन में राज्य के 13 स्थानों पर सुसज्जित और अत्याधुनिक छात्रावास भवन एवं शिक्षण संस्थान संचालित किए जा रहे हैं। इन सभी स्थानों पर कक्षा चौथी से बारहवीं तक के उन बच्चों को निशुल्क प्रवेश देकर शिक्षा, आवास, भोजन, वस्त्र, शिक्षण सामग्री से लेकर चिकित्सा आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है, जिनके माता-पिता नहीं हैं और जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं। आदिवासी बच्चे भी यहां प्रवेश पा सकते हैं, इनमें खातेगांव और बड़वाह के छात्रावास में केवल बालिकाओं के लिए ही प्रवेश देने का प्रावधान रखा गया है। शेष सभी स्थानों पर बालक इन सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं। छात्रावास भवनों में ही शिक्षक-शिक्षिकाएं आकर इन बच्चों को उनकी कक्षा एवं विषय के अनुसार शिक्षा देते हैं। इनमें से अधिकांश स्कूलों में डिजिटली शिक्षा पद्धति के साथ ही बच्चों को कम्प्यूटर, विज्ञान, अंग्रेजी, योग, आर्ट एवं क्राफ्ट, संस्कृत गणित, वाणिज्य आदि संकायों का भी अत्याधुनिक संसाधनों के जरिए अध्ययन कराया जा रहा है। इन स्कूलों की स्थापना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को शिक्षित करने का है। ये सभी स्कूल ऐसे रिमोट ऐरिया के बच्चों को अपने स्कूलों में लाने का अभियान भी चलाए हुए हैं। संगठन के न्यासी अजय गुप्ता ने बताया कि स्कूली किताबों के साथ ही बच्चों को यहां संगीत, पीटी, देसी खेलों, बागवानी और अन्य शारीरिक एवं मानसिक गतिविधियों की दीक्षा भी दी जा रही है। वर्तमान में डिंडोरी, जबलपुर, नेमावर, खातेगांव, धार, ओंकारेश्वर, बड़वाह (पालड़ी), करेली, नरसिंहपुर, विक्रमपुर, नर्मदापुरम, कटनी (मझगवां) एवं इन्दौर में खंडवा रोड पर कस्तूरबा ग्राम गोशाला के पीछे बापू बुद्ध छात्रावास के माध्यम से शिक्षा-दीक्षा की व्यवस्था चल रही है। एम फॉर सेवा के संस्थापक महर्षि पद्मभूषण ब्रह्मलीन दयानंद सरस्वती का संकल्प यही था कि इन दूर-दराज क्षेत्रों में रहने वाले बालक –बालिकाओं के लिए विशेष ध्यान देकर पढ़ाई की व्यवस्था की जाए। इसीलिए सन 2000 में उन्होंने एम फॉर सेवा की स्थापना की। तत्कालीन चुनाव आयुक्त टी.एन. शेषन भी इस संस्था से जीवन पर्यंत जुड़े रहे हैं। अपने पिछले 25 वर्षों के कार्यकाल में देश एवं प्रदेश में एम फॉर सेवा ने आदिवासी और निराश्रित बच्चों की शिक्षा-दीक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलताएं प्राप्त की हैं, बल्कि अनेक औद्योगिक समूहों को भी अपने साथ जोड़कर उन्हें इस सेवा कार्य के लिए प्रेरित किया है। इन संस्थाओं में पढ़ चुके अनेक छात्र आज विभिन्न शासकीय सेवाओं, बैंको. सुरक्षा बलों और अन्य संगठन में पदस्थ हैं। एक बालक तो यहां पढ़कर वर्तमान में कटनी में प्राचार्य के पद पर पदस्थ है। उमेश/पीएम/16 जून 2025 संलग्न चित्र - इन्दौर। आर्ष विद्या भारती ट्रस्ट एवं एम फॉर सेवा द्वारा संचालित छात्रावास भवन में आधुनिक डिजिटल बोर्ड के माध्यम से शिक्षा देते शिक्षिका।