लेख
17-Jun-2025
...


वैश्विक स्तरपर आज दुनियाँ का हरदेश भ्रष्टाचार सत्ता का दुरुपयोग,कर्तव्यों की अवहेलना, भेदभाव से नागरिकों का उत्पीड़न हो रहा है। हालांकि उपरोक्त सभी उलेखित कर्मचारी अधिकारियों को सजा देने के लिए हर देश में कानून नियम विनियमन व्यवस्थाएं बनीं हुई हैं,परंतु हर प्रदेश की प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है,जबकि उद्देश्य एक ही है कि उन पदों पर बैठे हुए व्यक्तियों की यह दबंगई बंद होना चाहिए, व आम नागरिकों के हित व सेवा में उनके द्वारा अपनी सेवाओं को समर्पित रखना चाहिए, जिसके लिए आम जनता के पास सबसे बड़ा हथियार उनकी शिकायत करना है, ताकि शासन के अति उच्च पदों पर बैठे जनता के प्रति जवाबदेह उनपर कार्रवाई कर सके, परंतु अनेकों विभागों में शिकायतों क़े निर्धारित प्रारूप बनाया गया है, जो पीड़ितों के लिए परेशानी का सबक बन गए है, जिसके लिए वे शिकायतें नहीं कर पाते और शिकायत करने में उनका संबंधित कर्मचारी सहयोग करते हैं।इस विषय परआज हम चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि, भारत के भ्रष्टाचार रोधी निकाय लोकपाल ने हाल में कहा कि निर्धारित प्रारूप के बिना भ्रष्टाचार की शिकायतों पर विचार नहीं किया जाएगा। उन्होंने 5 जून 2025 के परिपत्र में कहा कि लोकपाल के पास अपने आदेशों की समीक्षा करने का अधिकार नहीं है। तथा विभागों में मुझे स्वयं भी फॉर्मेट में शिकायत की बात कही गई थी,चूँकि शासकीय प्रताड़ना से पीड़ित शिक्षित ग्रामीण भोली भाली जनता की शिकायतें बिना निर्धारित प्रारूप के खारिज हो जाती है, अधिकारी कर्मचारी उनका सहयोग नहीं करते, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत के हर शासकीय कार्यालयों में रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार ,सत्ता का दुरुपयोग, कर्तव्यों की अवहेलना भेदभाव उत्पीड़न की शिकायतों को बिना निर्धारित प्रारूप में याने सादे कागजों पर भी करना जरूरी हो यदि हम भ्रष्टाचार व कर्तव्यों की अवहेलना इत्यादि बुराइयों से तंग है तो आइए उनकी शिकायतों की प्रक्रिया को बहुत गहराई से समझें। साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार को समझने की करें तो, भ्रष्टाचार एक ऐसा अपराध है, जो हमारे देश को सामाजिक और आर्थिक रुप से बहुत नुकसान पहुँचाता है। कुछ लोग अपनी नाम व ताकत का गलत इस्तेमाल करके ऐसे अपराधों को बढ़ावा देते है, जिसके कारण देश के गरीब लोगों के साथ बहुत ही अन्याय होता है। आज यह समस्या इतनी बढ़ गई है कि शिक्षा, स्वास्थ्य, प्रशासन, और न्याय व्यवस्था जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं से जुड़े लोग भी भ्रष्ट हो गए है। जब तक हम इस समस्या को समझ नहीं पाएंगे, तब तक हम इसके खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ सकते। इसलिए आज के लेख द्वारा हम इस विषय से जुडी पूरी जानकारी समझने की कोशिश करेंगे जैसे कि भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून और भ्रष्टाचार की शिकायत दर्ज करने के कानूनी विकल्प क्या है? भ्रष्टाचार के अपराध में मिलने वाली सजा व कानूनी प्रावधान?हर दिन हमें ऐसी खबरें देखने और सुनने को मिलती हैं जहां किसी सरकारी कर्मचारी ने रिश्वत ली, किसी ठेकेदार ने विकास परियोजनाओं में धोखाधड़ी की, या किसी उच्च अधिकारी ने अपनी शक्ति का गलत इस्तेमाल बहुत ही दबंगई के साथ किया। साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार के खिलाफ कानूनी प्रावधानों व अधिकारों को समझने की करें तो,भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के लिए कई कानूनी अधिकार और प्रावधान मौजूद हैं,आइये इन्हें आसान भाषा में जानते है:- (1) सूचना का अधिकार (आरटीआई) इसके अनुसार कोई भी व्यक्ति सरकारी विभागों से जानकारी मांगसकता है, और यदि उस जानकारी में भ्रष्टाचार के कोई भी सबूत मिलते हैं, तो ऐसे अपराधों को सभी के सामने लाया जा सकता है। हम आरटीआई आवेदन ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा कर सकते हैं।आरटीआई दर्ज कराते समय बिल्कुल साफ व स्पष्ट तरीके से यह बताना होता है कि हम किस जानकारी के लिए सूचना का अधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं। (2)भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम,1988 भारतीय कानून का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भ्रष्टाचार को रोकना और सरकारी कर्मचारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई करना है। यह कानून कर्रप्शन के मामलों में दोषी अधिकारियों को दंडित करने के लिए बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत सरकारी कर्मचारियों द्वारा रिश्वत लेने, घूस देने, या किसी अन्य प्रकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की जाती है। (3) लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम 2013 के तहत भारत में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए संस्थाएँ बनाई गई हैं। लोकपाल: केंद्र सरकार के अधिकारियों, मंत्रियों और कर्मचारियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जांच करता है। लोकायुक्त: यह राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है और राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करता है। (4) व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2014 का उद्देश्य उन व्यक्तियों की रक्षा करना है, जो सरकारी अधिकारियों या संस्थाओं द्वारा किए गए भ्रष्टाचार की जानकारी को देते है। ऐसे लोगों को आम भाषा में मुखबिर (यानि खबर देने वाला) कहा जाता है। इस कानून के द्वारा ऐसे मामलों की शिकायत करने वाले लोगों की सुरक्षा की जाती है, ताकि वे बिना किसी डर के शिकायत कर सकें। साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार मामलों में शिकायत दर्ज करवाने की सरल प्रक्रिया को समझने की करें तो,अगर आपने किसी सरकारी अधिकारी को रिश्वत लेते हुए या गलत काम करते हुए देखा है, तो हम उस व्यक्ति के खिलाफ शिकायत दर्ज कर सकते हैं लोकायुक्त : लोकायुक्त राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार की शिकायतों को सुनती है। अगर किसी राज्य सरकार के अधिकारी द्वारा भ्रष्टाचार किया जा रहा है, तो आप लोकायुक्त कार्यालय में जाकर या उनके ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। लोकायुक्त कार्यालय का पता और फोन नंबर आपको समाचार पत्र या इंटरनेट पर आसानी से मिल जाएगा। (1) केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी): केंद्रीय सरकार के अधिकारियों के खिलाफ कर्रप्शन की शिकायतों की जांच करता है। अगर आपकी शिकायत केंद्र सरकार के किसी अधिकारी के खिलाफ है, तो आप सेंट्रल विजिलेंस कमीशन की वेबसाइट पर आपको शिकायत दर्ज कर सकते है। (2) भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो-राज्य स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करता है। हम अपने राज्य के एसीबी कार्यालय में जाकर या उनके ऑनलाइन पोर्टल पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। शिकायत दर्ज करते समय ध्यान रखें:अपनी शिकायत में सभी जरूरी जानकारी साफ और स्पष्ट शब्दों में दें।अगर आपके पास भ्रष्टाचार के सबूत हैं, जैसे कि रसीदें, फोटोग्राफ या वीडियो, तो उन्हें अपनी शिकायत के साथ जरुर लगाए।शिकायत की जांच में समय लग सकता है। धैर्य रखें और जांच पूरी होने तक इंतजार करें।आप अपनी पहचान छिपाकर भी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।अगर आप किसी सरकारी कार्यालय में गलत कार्य या भ्रष्ट अधिकारियों को देखते हैं, तो चुप रहने के बजाय इसकी शिकायत जरूर करें।शिकायत दर्ज करने के लिए आवश्यक दस्तावेजआपका पहचान पत्र जैसे आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर कार्ड आदि।बैंक खाते की जानकारी यदि आपने कोई लेनदेन किया है तो।यदि आपके पास कोई सबूत है, जैसे कि रसीदें, फोटोग्राफ, वीडियो रिकॉर्डिंग, या गवाहों के बयान, तो उन्हें अपनी शिकायत के साथ जोड़े।इसके अलावा आपको उस अधिकारी या कार्यालय का नाम, पता, अन्य जानकारियों का पता करना होगा जिसके खिलाफ हम सशक्त शिकायत दर्ज करवा रहे है। साथियों बात अगर हम भ्रष्टाचार के दोषी व्यक्तियों को सजा मिलने की करें तो, उसे सजा के तौर पर कम से कम 3 साल से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है।यदि कोई सरकारी कर्मचारी अपनी कमाई से ज्यादा संपत्ति का मालिक पाया जाता है और यह साबित नहीं कर पाता कि उसके पास यह संपत्ति कहा से आई है तो उसे कड़ी सजा दी जा सकती है। यह सजा 7 साल तक की सजा हो सकती है।इसके अलावा यदि कोई अधिकारी भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी पाया जाता है तो लोकायुक्त अधिनियम के तहत उस व्यक्ति को उसके पद से भी हटा दिया जाता है और उसे सजा भी दी जाती है।ऐसे मामलों में दोषी को जुर्माना भी भरने की सजा हो सकती है।कर्रप्शन के मामलों में दोषी पाए गए व्यक्ति की गैर-कानूनी संपत्ति को सरकार द्वारा जब्त किया जा सकता है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन करें इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे किभारत के हर शासकीय कार्यालय में रिश्वतखोरी,भ्रष्टाचार सत्ता का दुरुपयोग,कर्तव्यों की अवहेलना,भेदभाव उत्पीड़न की शिकायत, बिना निर्धारित प्रारूप में ज़रूरी,शासकीय प्रताड़ना से पीड़ित अनेको ग्रामीण,अशिक्षित भोलीभाली जनता की शिकायतें बिना निर्धारित प्रारूप के खारिज़ हो जाती है-अधिकारी कर्मचारी सहयोग नहीं करते भ्रष्टाचार, सत्ता का दुरुपयोग,कर्तव्यों की अवहेलना से आम नागरिकों को स्वास्थ्य,शिक्षा,प्रशासन,न्याय व्यवस्था में परेशानी से तंग है तो आइए उनकी शिकायत की प्रक्रिया समझें। (-संकलनकर्ता लेखक - क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र) ईएमएस / 17 जून 25