राज्य
17-Jun-2025


भोपाल (ईएमएस)। भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान के निर्देशन में देश के पांच प्रमुख केदो में पिछले 4 वर्षों से पावर प्लांट से निकली हुई राख पर रिसर्च की जा रही थी। पावर प्लांट से निकली हुई राख खेती के लिए बड़ी मुफीद साबित हुई है। पावर प्लांट से निकली हुई राख से 30 फीसदी तक पैदावार को बढ़ाने में वैज्ञानिकों को मदद मिली है। नेशनल थर्मल पावर ने पावर प्लांट से निकली हुई राख का खेती में किस तरह से उपयोग हो। इसके लिए एक वैज्ञानिक अध्ययन शुरू कराया था। यह अध्ययन भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान द्वारा किया गया है। संस्थान के भोपाल झांसी भुवनेश्वर दिल्ली और मोहनपुर मैं पिछले 4 साल से इस पर रिसर्च की जा रही है। हर केंद्र की मिट्टी अलग-अलग है। भोपाल में काली और चिकनी मिट्टी में झांसी केंद्र में दोमट मिट्टी में भुवनेश्वर में लाल पीली लेटराइट मिट्टी और मोहनपुर तथा दिल्ली की जलोढ़ मिट्टी पर पावर प्लांट से निकली हुई राख का परीक्षण किया गया है। रिसर्च के परिणाम काफी उत्साह जनक रहे हैं। फ्लाइ एस को निश्चित मात्रा में मिट्टी में मिलाने पर मिट्टी की संरचना और उपज को बढ़ाने मैं वैज्ञानिकों को सफलता प्राप्त हुई है। 2 साल तक गेहूं और धान की फसल में इसका उपयोग किया गया है। पैदावार में 30 फीसदी तक की वृद्धि दर्ज की गई है। वैज्ञानिकों के शोध में पावर प्लांट से निकली हुई राख में 16 पोषक तत्व पाए गए हैं। जो पौधों की वृद्धि में सहायक होते हैं। पावर प्लांट की राख में मुख्य तत्व के रूप में फॉस्फोरस कैल्शियम पोटेशियम मैग्नीशियम और सल्फर पाया गया है। इसके अलावा आयरन मैंगनीज जिंक कॉपर बोरान और कोबाल्ट जैसे पोषक तत्व भी राख में उपलब्ध हैं। फ्लाई एस के कारण मिट्टी का पोषक तत्व बढ़ जाता है। जिसके कारण यह एक टिकाऊ सस्ता विकल्प माना जा रहा है। पावर प्लांट की राख में कार्बन और नाइट्रोजन की कमी होती है। वैज्ञानिकों ने इस कमी को उजागर किया है। वैज्ञानिकों का कहना है, किसान को कम लागत में ज्यादा पैदावार मिल सकती है। पर्यावरण पर भी इसका प्रभाव सकारात्मक होगा। वही पावर प्लांट से निकलने वाली फ्लाई एस का सही उपयोग हो सकेगा। एसजे/ 17 जून 25