21-Jun-2025


- नए मेडिकल कॉलेजों में शिक्षकों की कमी पूरी करने की योजना भोपाल (ईएमएस)। मप्र सरकार राज्य के नए मेडिकल कॉलेजों में स्थानांतरित होने वाले मेडिकल कॉलेज शिक्षकों को नियमित वेतन के अलावा 50,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि देगी। सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है कि प्रदेश में पहले से ही चिकित्सकों की कमी है। वहीं नए और छोटे जिलों के कॉलेजों के लिए शिक्षक, सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और प्राध्यापक नहीं मिल रहे हैं। उधर, कई शिक्षकों ने नए स्थापित मेडिकल कॉलेजों में तबादलों का विरोध किया है, खासकर दूरदराज के इलाकों में। इस चिंता को दूर करने के लिए, प्रोत्साहन का उद्देश्य भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में स्थापित संस्थानों के अनुभवी शिक्षकों को नए कॉलेजों में पद संभालने के लिए प्रोत्साहित करना है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इससे पहले राज्य भर में 50 मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना की घोषणा की थी, जिसमें 13 निजी कॉलेज भी शामिल हैं, जिससे योग्य संकाय की आवश्यकता बढ़ रही है। इनमें से 12 नये कॉलेजों को प्राथमिकता के तौर पर चिन्हित किया गया है, जिनमें श्योपुर, सिंगरौली, मंडला, राजगढ़, छतरपुर, दमोह और बुधनी शामिल हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, वित्तीय प्रोत्साहन कम विकसित क्षेत्रों में शिक्षकों को आकर्षित करने और उन्हें बनाए रखने की एक आम रणनीति है। प्रत्यक्ष वेतन के अलावा, सब्सिडी वाले आवास या बेहतर बुनियादी ढांचे जैसे अन्य प्रकार के समर्थन का उपयोग देश भर में इसी तरह की नीतियों में भी किया जाता है। तीन बड़े कदम उठाने जा रही राज्य सरकार प्रदेश में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए राज्य सरकार तीन बड़े कदम उठाने जा रही है। इसमें मुख्य यह कि छोटे जिलों के मेडिकल कॉलेजों के शिक्षकों को 50 हजार रुपये प्रतिमाह तक अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इसके लिए न्यूनतम जनसंख्या व अन्य मापदंड निर्धारित कर जिलों को चिह्नित किया जाएगा। इनमें पिछले वर्ष प्रारंभ सिवनी, नीमच और मंदसौर मेडिकल कॉलेज को भी सम्मिलित करने की तैयारी है। सरकार वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2025-26 और 2026-27 में मिलाकर आठ मेडिकल कॉलेज शुरू करने की तैयारी में है। इनमें श्योपुर और सिंगरौली में इसी वर्ष से एमबीबीएस पाठ्यक्रम प्रारंभ करने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन, एनएमसी को आवेदन भी किया गया है। अगले सत्र में बुधनी, उज्जैन, मंडला, राजगढ़ सहित छह जिलों में कॉलेज प्रारंभ करने की तैयारी है। छोटे जिलों के कॉलेजों के लिए शिक्षक, सहायक प्राध्यापक, सह प्राध्यापक और प्राध्यापक नहीं मिल रहे हैं। इस कारण राज्य सरकार प्रोत्साहन राशि देने जा रही है। साथ ही मेडिकल कॉलेजों के सेवानिवृत्त शिक्षकों को 70 वर्ष की आयु तक संविदा नियुक्ति देने और एनएचएम की सेवा को बंध पत्र सेवा अवधि में सम्मिलित करने की तैयारी है। तीनों प्रस्तावों को शीघ्र ही कैबिनेट में लाया जाएगा। शिक्षकों की कमी पूरी करने शासकीय मेडिकल कॉलेजों से 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले शिक्षकों को अधिकतम 70 वर्ष की आयु तक संविदा पर सेवा में रखा जा सकेगा। अभी संविदा का प्रावधान नहीं है। एनएमसी ने भी मापदंडों में 70 वर्ष तक अधिकतम आयु को मान्य किया है। इसी आधार पर निजी मेडिकल कॉलेज 70 वर्ष तक सेवाएं ले रहे हैं। मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (एमटीए) के अध्यक्ष डॉ. राकेश मालवीय ने इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि मेडिकल शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा यह एक अच्छा कदम है। हमने मांग की थी कि अगर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे शहरों से वरिष्ठ शिक्षकों को नए कॉलेजों में स्थानांतरित किया जाता है तो ऐसी नीति बनाई जाए। सरकार ने अब इस मांग को स्वीकार कर लिया है। विनोद / 21 जून 25