21-Jun-2025


- राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐलान के कुछ दिन पहले मिलेगा नया प्रदेश अध्यक्ष भोपाल (ईएमएस)। मप्र में भाजपा के नए अध्यक्ष के ऐलान का मुहूर्त 5 महीने बीत जाने के बाद भी नहीं बन पाया है। प्रदेश में भाजपा अध्यक्ष पद के लिए पार्टी के पास दमदार दावेदारों की कतार है। फिर क्या वजह है कि पार्टी में अध्यक्ष का चयन नहीं हो पा रहा है। जानकारी के मुताबिक जुलाई में राष्ट्रीय अध्यक्ष के ऐलान के पहले जिन राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा होनी है, कतार में खड़े उन राज्यों में मप्र भी है। प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए प्रभारी बनाए गए केन्द्रीय मंत्री धर्मेंन्द्र प्रधान का एक भी दौरा मप्र का अब तक नहीं हो पाया है। उधर पार्टी संगठन में जिम्मेदारी मिलने की आस लगाए नेताओं का इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। अब विपक्षी दल कांग्रेस भी मुद्दा उठा रही है कि क्या पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष के लिए इतने पहलवान हो गए हैं कि एक नाम पर मुहर लगाना मुश्किल हो रहा है। अध्यक्ष मिलने में सबसे बड़ी देरी मप्र भाजपा में पिछले 45 साल में कुल 13 प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। शुरुआत 1980 में सुंदरलाल पटवा से हुई। वे पहले प्रदेश अध्यक्ष थे। इनके बाद वीडी शर्मा तक इस पद पर 13 प्रदेश अध्यक्ष रहे, बल्कि कई बार तो प्रदेश अध्यक्ष चुनाव के पहले अचानक बदले गए, लेकिन इतनी देरी 45 साल में पहली बार है। मप्र में जो स्थिति है, पार्टी अध्यक्ष को लेकर कमोबेश वही स्थिति राष्ट्रीय स्तर पर भी है। कहा ये जा रहा है कि जुलाई तक राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा। उसके पहले प्रदेश स्तर पर अध्यक्ष की घोषणा कर दी जाएगी। पार्टी के नेता व पूर्व विधायक पुष्पेन्द्र नाथ पाठक कहते हैं, पार्टी में प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव समय से ही होना था, लेकिन एक के बाद एक जिस तरह से घटनाक्रम होते गए। इसकी वजह से चुनाव टलता गया। पाठक कहते हैं बाकी हमारी पार्टी परिवारवाद पर तो चलती नहीं है। पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता प्रदेश अध्यक्ष पद का दावेदार है। अब वो चाहे किसी जिले में काम कर रहा हो या फिर वो पूर्व मंत्री हो। भाजपा का यही सबसे मजबूत लोकतंत्र है। जिसमें पार्टी के सर्वोच्च पद तक पहुंचने की अर्हता केवल एक है कि कार्यकर्ता समर्पित भावना के साथ पार्टी के लिए काम करता हो। वीडी शर्मा को दो बार एक्टेंशन मिले वीडी शर्मा पार्टी के पहले अध्यक्ष हैं। जिन्हें एक बार नहीं दो बार एक्सटेंशन मिल चुका है। मप्र में जिलाध्यक्षों का चुनाव जनवरी में ही पूरा हो चुका था। पार्टी संगठन चुनाव की जो प्रक्रिया है, उसके मुताबिक ये माना जा रहा था कि साल की शुरुआत में ही प्रदेश अध्यक्ष के नाम का एलान हो जाएगा, लेकिन मामला लंबित होता गया। वीडी शर्मा का कार्यकाल पहले विधानसभा चुनाव के समय ही पूरा हो गया था। लेकिन उस समय लोकसभा चुनाव होने की वजह से वे इस जिम्मेदारी निरंतर संभाले रहे। हालांकि पार्टी ने उनके नेतृत्व में परफार्म भी किया। विधानसभा में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद लोकसभा चुनाव में भी पार्टी ने 29 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की। 45 साल में बदले गए 13 प्रदेश अध्यक्ष 1980 में सुंदर लाल पटवा मप्र भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। उन्होंने दो कार्यकाल में ये जिममेदारी संभाली। उनके बाद कैलाश जोशी ऐसे नेता थे, जो पटवाजी की तरह दो बार प्रदेश अध्यक्ष के पद पर रहे। पहले टर्म में 1983 से 1985 तक उसके बाद दूसरी बार में 2003 से 2005 तक। कैलाश जोशी के बाद 1985 में शिवप्रसाद चिनपुरिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वे दो साल रहे। फिर उनके बाद दोबारा से सुंदर लाल पटवा और फिर लख्रीराम अग्रवाल को जिम्मेदारी दी गई। फिर लक्ष्मीनारायण पाण्डे विक्रम वर्मा और उनके बाद कैलाश जोशी को दूसरा कार्यकाल मिला। जोशी के बाद 2005 से 2006 तक शिवराज सिंह चौहान ने भी प्रदेश अध्यक्ष का पद संभाला। इनके बाद बहुत थोड़े समय के लिए सत्यनारायण जटिया को भी पार्टी ने प्रदेश की कमान सौंपी। मुख्यमंत्री बनने से पहले तक शिवराज इस पद पर रहे, फिर उनके बाद नरेन्द्र सिंह तोमर मप्र में 2006 में प्रदेश अध्यक्ष बनें। 2010 में प्रभात झा नए प्रदेश अध्यक्ष चुने गए, लेकिन चुनाव नजदीक आते ही 2012 में पार्टी ने प्रभात झा को हटाकर दोबारा नरेन्द्र सिंह तोमर को प्रदेश में पार्टी की कमान सौंप दी। 2014 में केन्द्रीय मंत्री के रुप में प्रमोट हो जाने के बाद नरेन्द्र सिंह तोमर की जगह नंदकुमार सिंह चौहान को दी गई। वे 2018 तक प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। 2018 में राकेश सिंह प्रदेश भाजपा के नए अध्यक्ष बनाए गए। उन्होंने 2020 तक जिम्मा संभाला। उसके बाद 2020 से वीडी शर्मा का कार्यकाल जो शुरु हुआ वो बढ़ता ही जा रहा है। विनोद / 21 जून 25