एटा,(ईएमएस)। जिले के रिजोर गांव में शुक्रवार को आरआर सेंटर निर्माण के लिए चल रही खोदाई के दौरान मिली जैन 20वें तीर्थंकर मुनि सुब्रतनाथ की प्राचीन प्रतिमा दूसरे दिन भी ताले में बंद रही। पुलिस ने मूर्ति ग्राम प्रधान की सुपुर्दगी में रख ताला लगाकर कुशलगंज थाने में चाबी जमा कर दी है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम के पहुंचने तक किसी को भी प्रतिमा के दर्शन की अनुमति नहीं है। जानकारी अनुसार रविवार तड़के भी बड़ी संख्या में जैन महिलाएं व श्रद्धालु गांव पहुँचे, परंतु बाहर से ही सिर नवाकर उन्हें लौटना पड़ा। समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि अनुयायी अपने आराध्य के अभिषेक और पूजन के लिए व्याकुल हैं। इस पर दिगंबर जैन पद्मावती पुरवाल पंचायत के अध्यक्ष योगेश जैन और महामंत्री पंकज जैन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी प्रेम रंजन सिंह से मुलाकात कर प्रतिमा समाज को सौंपने का आग्रह किया। सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है, कि प्रतिमा के वक्ष पर ‘श्रीवत्स’ और आसन पर शेर का चिह्न अंकित है—दोनों चिन्ह जैन शिल्प की विशिष्ट पहचान हैं। दिगंबर परंपरा के अनुसार प्रतिदिन जलाभिषेक, शांतिधारा व विधान आवश्यक हैं, जिससे प्रतिमा की धार्मिक गरिमा बनी रहती है। प्रशासन का रुख डीएम ने आश्वस्त किया कि एएसआई विशेषज्ञों की जांच के बाद ही कोई निर्णय होगा। चूंकि प्रतिमा ऐतिहासिक टीले से मिली है, इसलिए इसका पुरातात्त्विक महत्व आंका जाना ज़रूरी है। प्रशासन ने फिलहाल संपूर्ण उत्खनन पर रोक लगा दी है। हिदायत/ईएमएस 22जून25