* आरटीई के तहत दाखिलों में ऐतिहासिक वृद्धि: पिछले 12 वर्षों में 432 से बढ़कर इस वर्ष 95 हजार नामांकन हुए * वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से आरटीई के तहत प्रवेश के लिए आय सीमा बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी गई गांधीनगर (ईएमएस)| हर माता-पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा अच्छे स्कूल में अच्छी शिक्षा प्राप्त करे और अपने और अपने परिवार के सपने पूरे करे। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण यह सपना साकार नहीं हो पाता। आरटीई (शिक्षा का अधिकार) अधिनियम ऐसे परिवारों के बच्चों के लिए आशा और शिक्षा की किरण बन रहा है। चालू शैक्षणिक वर्ष से आरटीई प्रवेश के लिए आय सीमा बढ़ाने का मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में संवेदनशील निर्णय लिया गया है। आरटीई अधिनियम के क्रियान्वयन से देश के प्रत्येक बच्चे को शिक्षित करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा रहा है। शिक्षा मंत्री डॉ. कुबेर डिंडोर एवं राज्य मंत्री प्रफुल पानशेरिया के मार्गदर्शन में राज्य में आरटीई अधिनियम के तहत प्रवेश हेतु आय सीमा को बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दिया गया है। इस महत्वपूर्ण निर्णय से इस वर्ष अनुमानित 4,000 से अधिक बच्चों को इस अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में आरटीई के तहत निःशुल्क शिक्षा का लाभ मिल सकेगा। अभी तक इस अधिनियम के तहत प्रवेश के लिए आय सीमा ग्रामीण क्षेत्रों में 1.20 लाख रुपये तथा शहरी क्षेत्रों में 1.50 लाख रुपये थी। राज्य सरकार ने पिछले 12 वर्षों में आरटीई प्रवेश के तहत सबसे गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए काम किया है। गुजरात ऐसा करने वाला पहला राज्य है जहां विद्यार्थियों को वर्दी, स्कूल बैग, पाठ्यपुस्तकें, परिवहन और अध्ययन संबंधी सामान खरीदने के लिए डीबीटी के माध्यम से प्रति वर्ष प्रति छात्र 3000 रुपये की सहायता प्रदान की जाती है। आरटीई अधिनियम के तहत अब तक राज्य के 6 लाख से अधिक विद्यार्थियों को कुल 1,057 करोड़ रुपए प्रदान किए जा चुके हैं। आरटीई प्रवेश केवल मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था नहीं है, यह गुजरात के प्रत्येक बच्चे को उचित शिक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कानून है। इस कानून का क्रियान्वयन राज्य में वर्ष 2013 से प्रारम्भ किया गया है, जिसके अन्तर्गत राज्य सरकार द्वारा विभिन्न विद्यालयों को कुल 3,723 करोड़ रूपये का अनुदान दिया गया है, जिसमें से 2,665 करोड़ रूपये फीस प्रतिपूर्ति तथा 1,057 करोड़ रूपये छात्र सहायता के रूप में भुगतान किया गया है। वर्ष 2013 में जब आरटीई अधिनियम के तहत प्रवेश प्रक्रिया शुरू हुई थी, तब केवल 432 विद्यार्थियों को प्रवेश मिला था, जबकि पिछले 12 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर वर्ष 2024 में 95 हजार से अधिक हो गया है। अब तक शैक्षणिक वर्ष 2025-26 के लिए आरटीई अधिनियम के तहत 95,494 छात्रों को प्रवेश आवंटित किया गया है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 के तहत निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा-1 में कमजोर एवं वंचित समूहों के बच्चों को मुफ्त प्रवेश देने की प्रक्रिया शैक्षणिक वर्ष 2013-14 से लागू है। आरटीई प्रवेश राज्य के शिक्षा क्षेत्र में सामाजिक समानता की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हुआ है। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य में कुछ अभिभावक केवल अपनी पसंद के स्कूलों को चुनने पर जोर देते हैं, 6 किलोमीटर की परिधि की सीमा के बावजूद दूर के स्कूल का चयन करते हैं, कई बच्चे आरटीई के तहत प्रवेश से वंचित रह जाते हैं, क्योंकि उनके लिए भाषा माध्यम के रूप में गुजराती भाषा पर जोर देना, दूसरे बच्चे को दूसरे बच्चे के स्कूल में पढ़ाना आदि बहुत ही मामूली कारण होते हैं। सतीश/24 जून
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