राष्ट्रीय
25-Jun-2025
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1 महीने के वेतन में एक तोला सोना वेतन आय मे 50 फीसदी सोने के दाम मे 1000 गुना की वृद्धि महंगाई के कारण बचत खत्म, कर्ज का बोझ नई दिल्ली (ईएमएस)। सोना हमेशा से अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता रहा है। जब देश स्वतंत्र हुआ था। 1947 में सोने का भाव 88 रुपए 62 पैसे था। 1966 में लाल बहादुर शास्त्री प्रधानमंत्री थे। उस समय सोने के दाम घटकर 84 रुपए के स्तर पर आ गये थे। 1977 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। तब सोने के भाव 486 रुपए थे। 1977 में जब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री बने। तब भारत में सोने के भाव बढ़कर 937 पर पहुंच गए। जब चरण सिंह 1980 में प्रधानमंत्री थे। उस समय सोने के दाम बढ़कर 1330 रुपए पर पहुंच गए थे। 1984 में जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। तब सोने के भाव 1970 पर थे। 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। उस समय सोने के भाव 3140 रुपए पर पहुंच गए थे। उसके बाद पीवी नरसिंहराव 1996 तक प्रधानमंत्री थे। उनके कार्यकाल में सोने के दाम 5160 रुपए पर पहुंच गए। 2004 तक सोने के दामो में मामूली उतार चढ़ाव रहा। अटल जी प्रधानमंत्री थे। 2004 में सोने के दाम 5850 रुपए थे। 2008 में जब अमेरिका मे मंदी आई। उसके बाद से सोने के दामों में लगातार वृद्धि होती रही। 2011 से 2014 के बीच में जब विश्व बैंक ने सभी केंद्रीय बैंकों को डॉलर की मुद्रा का मुकाबला करने के लिए सोने का भंडार बढ़ाने के निर्देश दिए। उसके बाद से सोने के दाम में आग लगी हुई है। 2019 में सोने के दाम 35220, 2024 में सोने के दाम बढ़कर 75600 तथा 2025 में सोने के दाम 90000 के ऊपर पहुंच गए हैं। वेतन के मुकाबले महंगाई पिछले 10 वर्षों में जिस तरीके से महंगाई बढ़ रही है। उसके हिसाब से ना तो लोगों का वेतन बढ़ रहा है। नाही लोगों की आय बढ़ रही है। पिछले 10 वर्षों में लोगों की जो बचत थी। वह धीरे-धीरे खत्म हो गई। लोगों को जीवन यापन और जरूरतों को पूरा करने के लिए बैंक से कर्ज लेना पड़ा। अब सोना गिरवी रखकर कर्ज लेना पड़ रहा है। महंगाई के कारण लोग कर्ज की किस्त नहीं चुका पा रहे हैं। जिसके कारण लोग अपनी जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसका प्रभाव कुपोषण और शिक्षा के क्षेत्र में स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। अब परिवार अपने बच्चों को ना तो ठीक से खिला पिला पा रहे हैं। ना ही स्कूलों की फीस जमा करने की स्थिति में है। वेतन, आय और सोने का संबंध 1970 के दशक तक लोगों का वेतन बहुत कम था। जवाहरलाल नेहरू जब प्रधानमंत्री थे। उनका वेतन ₹3000 प्रतिमाह था। उस समय सोने की कीमत ₹90 तोला थी। उस समय वह अपने वेतन से 300 ग्राम से अधिक सोना खरीद सकते थे। अभी प्रधानमंत्री का वेतन लगभग ₹200000 पर पहुंचता है। प्रधानमंत्री के वेतन में 60 फ़ीसदी से ज्यादा की वृद्धि हुई है। यदि वह सोना खरीदना चाहें,तो अधिकतम 20 ग्राम सोना ही खरीद पाएंगे। पिछले वर्षों में सोने के दामों में 1015 गुना की वृद्धि हुई है। वेतन उस हिसाब से नहीं बढ़ा है। वेतन और आय में 50 से 60 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। उसकी तुलना में महंगाई बड़ी तेजी के साथ बढ़ी है। महंगाई की दर सोने से भी ज्यादा तेज गति से बढ़ रही है। जिसके कारण आम आदमी का जीवन दूभर होता चला जा रहा है। आम आदमियों की बचत पूरी तरह से खत्म हो चुकी है। अब आम आदमी के सिर पर कर्ज की गठरी लदी हुई है। महंगाई और बेरोजगारी जिस तेजी से बढ़ रही है। उससे लोग हैरान और परेशान हैं। एसजे/ 25 जून /2025