-आज से 50 वर्ष पूर्व की गई थी लोकतंत्र की हत्या- गोयल -आपातकाल के दिनों में समाचार पत्र निकालकर जनता को किया जागरूक- गोयल -युवा पीढ़ी को समझनी चाहिए लोकतंत्र और संविधान की कीमत-गोयल नई दिल्ली (ईएमएस)। आपातकाल के 50वर्ष पूरे होने के अवसर पर आज पूर्व केन्द्रीय मंत्री विजय गोयल ने एक विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया। इस प्रदर्शनी में 1975 के आपातकाल के दौरान की गई सरकारी ज्यादतियों, लोकतंत्र के दमन और नागरिक अधिकारों के हनन से जुड़े दस्तावेज, परिपत्र, और गोपनीय समाचार पत्रों की दुर्लभ प्रतियाँ प्रदर्शित की गईं। गोयल ने कहा, “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी सत्ता बचाने के लिए देश में आपातकाल लागू कर लोकतंत्र की हत्या कर दी थी। प्रेस पर सेंसरशिप लगाई गई, न्यायपालिका को दबाया गया, लाखों नागरिकों को जेलों में डाला गया और जबरन नसबंदी जैसे अमानवीय कृत्य किए गए।” प्रदर्शनी में ‘मशाल’, ‘प्रतिशोध’, ‘जनवाणी’ जैसे भूमिगत पत्रों की प्रतियाँ भी शामिल थीं, जिन्हें गोयल और उनके साथी आपातकाल के दौरान साइक्लोस्टाइल कर छिपकर वितरित करते थे। गोयल ने बताया कि इन प्रयासों का उद्देश्य जनता को सत्य से अवगत कराना और संविधान व लोकतंत्र के प्रति सजग बनाना था। विजय गोयल ने याद करते हुए कहा, “मैं और मेरे पिता चरतीलाल गोयल (दिल्ली विधानसभा के प्रथम अध्यक्ष) आपातकाल के दौरान अंबाला और तिहाड़ जेल में बंद थे। उस समय हमने अन्य साथियों के साथ मिलकर इस अलोकतांत्रिक शासन का साहसपूर्वक विरोध किया।” उन्होंने इस अवसर पर युवाओं को विशेष रूप से संबोधित करते हुए कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए नई पीढ़ी को जागरूक होना जरूरी है। “आज जब दुनिया भर में लोकतांत्रिक संस्थाओं पर दबाव है, भारत को अपनी लोकतांत्रिक चेतना को और मज़बूत करने की ज़रूरत है।” गोयल ने प्रस्ताव दिया कि आपातकाल की विभीषिका को लेकर देशभर में नियमित रूप से प्रदर्शनियाँ, संगोष्ठियाँ और जनचर्चाएँ आयोजित की जानी चाहिए ताकि इतिहास से सबक लिया जा सके और तानाशाही प्रवृत्तियों को समय रहते रोका जा सके। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र सिर्फ शासन प्रणाली नहीं, यह हमारी आत्मा है। इसे जीवित रखने के लिए जागरूक नागरिकों का साहस और सत्यनिष्ठा आवश्यक है।” धर्मेन्द्र, 25 जून, 2025