मेहसाणा (ईएमएस)| गुजरात सरकार का स्वास्थ्य विभाग गर्भवती माताओं को टेटनस और डिप्थीरिया के साथ-साथ बच्चों को प्रभावित करने वाली 11 घातक बीमारियों जैसे विषाक्त पीलिया, गंभीर बचपन की टीबी, पोलियो, डिप्थीरिया, पर्टुसिस, टेटनस, हिब बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियां (निमोनिया और मेनिन्जाइटिस), न्यूमोकॉकल निमोनिया, रोटावायरस डायरिया, खसरा और रूबेला जैसी बीमारियों से टीकाकरण से बचा जा सकता है। भारत सरकार ने 2019 से सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत 10 और 16 वर्ष की आयु के किशोरों में टेटनस और डिप्थीरिया के लिए टीडी टीका शुरू किया है। पिछले वर्ष राज्य में स्कूल जाने वाले और स्कूल न जाने वाले निर्दिष्ट आयु वर्ग के कुल 23,05,190 किशोरों का टीकाकरण किया गया था। टीडी टीकाकरण अभियान की सफलता को देखते हुए हर साल जून और जुलाई माह में खुलने वाले स्कूलों में भी टीडी अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। इसके अतिरिक्त, राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार, 5 वर्ष की आयु पूरी कर चुके बच्चों को डीपीटी (ट्रिपल) बूस्टर वैक्सीन की दूसरी खुराक से सुरक्षित किया जाना आवश्यक है, जिसे पिछले वर्ष से राज्य के किंडरगार्टन में शुरू किया गया है और किंडरगार्टन में 5 वर्ष की आयु पूरी कर चुके सभी बच्चों को डीपीटी बूस्टर की दूसरी खुराक देकर तीनों बीमारियों से बचाया जाएगा। राज्य में पिछले 3 वर्षों में टीडी अभियान के माध्यम से डिप्थीरिया और टेटनस के मामलों में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है। बालवाटिका अभियान के माध्यम से कण्ठमाला के मामलों में भी उल्लेखनीय कमी आई है। इस अभियान में राज्य में 992 आरबीएसके टीमों द्वारा 47,439 स्कूलों के अनुमानित 18,20,104 लाख बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा। स्कूलों में 10,764 स्वास्थ्य टीमों द्वारा टीडी सत्र आयोजित किए जाएंगे। इसके अलावा, 3,90,45 किंडरगार्टन के अनुमानित 6,10,279 बच्चों को डीपीटी बूस्टर की दूसरी खुराक से सुरक्षित किया जाएगा। इस अभियान में छूटे हुए बच्चों को भी हर ममता सत्र में शामिल किया जाएगा। इस अभियान को सफल बनाने में सरकार के शिक्षा विभाग का योगदान विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यहां यह उल्लेखनीय है कि टीडी और डीपीटी टीके पूरी तरह सुरक्षित हैं और इन्हें 1985 से सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के तहत प्रशासित किया जा रहा है। टीडी अभियान के पिछले तीन वर्षों के दौरान स्कूलों में कोई दुष्प्रभाव नहीं बताया गया है। हालांकि, यदि कोई दुष्प्रभाव पाया जाता है, तो उपचार के लिए प्रत्येक टीकाकरण केंद्र और सरकारी अस्पताल में एईएफआई किट उपलब्ध हैं और टीकाकरण के दौरान स्कूलों में भी यह किट उपलब्ध कराई जाएगी ताकि तत्काल उपचार प्रदान किया जा सके। आइये, राज्य के सभी बच्चों को टेटनस, डिप्थीरिया और पर्टुसिस से बचाने के लिए इस अभियान को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करें। सतीश/26 जून