26-Jun-2025


- दिल्ली की आकाओं के इशारे पर, प्रिय उद्योगपतियों के फायदे के लिए शक्तीपीठ महामार्ग का षड्यंत्र - मराठी का मुद्दा राजनीतिक नहीं, ये महाराष्ट्र धर्म, भाषा और संस्कृति की लड़ाई है, कांग्रेस आंदोलन में सहभागी होगी मुंबई, (ईएमएस)। अन्नदाता किसानोंको गालियां देना ये मानसिक विकृती की पराकाष्ठा है। भाजपा के पूर्व मंत्री बबनराव लोणीकर की यह गुंडागर्दी अब बर्दाश्त के बाहर है। अन्नदाता को अपशब्द कहने वाले लोणीकर को माफी मांगनी चाहिए, नहीं तो भागने की भी जमीन नहीं बचेगी। यह तीव्र प्रतिक्रिया महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने दी है। मुंबई के तिलक भवन में पत्रकारों से बात करते हुए सपकाल ने कहा, भाजपा की विचारधारा क्या है, ये बार-बार सामने आ रहा है। एक भाषा, एक धर्म, एक नेता यही उनका एजेंडा है। और वे खुद को ही सबकुछ मानते हैं, यही उनका घृणास्पद अहंकार दर्शाता है। जनता के मत से सरकार बनती है, और जनता के टैक्स से योजनाएं चलती हैं। किसानों को मदद देना कोई उपकार नहीं होता। लेकिन भाजपा नेताओं को लगता है कि सब कुछ नरेंद्र मोदी ही दे रहे हैं ये उनका भ्रम है। किसानों के लिए अपशब्द अत्यंत निंदनीय कृत्य आहे। इससे पहले राज्य के कृषि मंत्री ने भी किसानों को भिखारी कहा था।” - दिल्ली के इशारे पर शक्तीपीठ महामार्ग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शक्तीपीठ महामार्ग की योजना दिल्ली के आकाओं के इशारे पर बनाई है। कुछ चहेते उद्योगपतियों को अपना कच्चा माल विदेश भेजने के लिए मध्य भारत से गोवा के पोर्ट तक एक कॉरिडोर चाहिए- उसी के लिए यह रेड कार्पेट बिछाया जा रहा है।सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन के लिए पैसे नहीं, ठेकेदारों को भुगतान नहीं, महिलाओं को 2100 रुपये देने के लिए पैसे नहीं, किसानों की कर्जमाफी के लिए पैसे नहीं लेकिन शक्तीपीठ महामार्ग के लिए 20,000 करोड़ रुपये का प्रावधान है! यह खर्च 1.5 लाख करोड़ तक जाएगा, और उसी में घोटाला और कमिशनखोरी का खेल चलेगा। ये सरकार आम जनता, किसानों, मजदूरों और बेरोजगारों के लिए नहीं, बल्कि कुछ गिने-चुने उद्योगपतियों के फायदे के लिए काम कर रही है। ये महाराष्ट्र को दिवालिया बनाने की शुरुआत है। - हिंदी थोपने के खिलाफ कांग्रेस का स्पष्ट विरोध पहेली कक्षा से हिंदी थोपने के खिलाफ चल रहे आंदोलनों पर प्रतिक्रिया देते हुए सपकाल ने कहा: “हिंदी जबरदस्ती के खिलाफ कई संगठन काम कर रहे हैं, आंदोलन भी प्रस्तावित हैं। जहाँ-जहाँ मराठी भाषा, महाराष्ट्र धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए मोर्चे निकाले जाएंगे, कांग्रेस उसमें सहभागी होगी। ये कोई पार्टी का मुद्दा नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के अस्मिता का सवाल है।” संतोष झा- २६ जून/२०२५/ईएमएस