-‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से हुए सम्मानित नई दिल्ली,(ईएमएस)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। इस अवसर पर जैन समुदाय द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि से सम्मानित किया गया। समारोह के दौरान डाक टिकट और स्मृति सिक्के भी जारी किए गए। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में आचार्य विद्यानंद जी महाराज को भारत की अध्यात्म परंपरा का प्रकाश स्तंभ बताया और उनके जीवन और विचारों को देश की सांस्कृतिक चेतना का अमूल्य हिस्सा कहा। मोदी ने कहा, कि भारत विश्व की सबसे प्राचीन जीवंत सभ्यता है, क्योंकि हमारे विचार, चिंतन और दर्शन अमर हैं। हमारे ऋषि-मुनि, संत और आचार्य इस परंपरा के स्रोत रहे हैं और आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज इसी परंपरा के आधुनिक प्रकाश स्तंभ हैं। सम्मानित किए जाने पर पीएम मोदी ने मंच से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह ‘धर्म चक्रवर्ती’ की उपाधि को प्रसाद की तरह स्वीकार करते हैं और उसे भारत माता के चरणों में अर्पित करते हैं। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 28 जून, 1987 को ही आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज को आचार्य पद की उपाधि प्राप्त हुई थी, जिससे यह तिथि और भी विशेष बन जाती है। प्रधानमंत्री मोदी ने आचार्य जी के विचारों को उद्धृत करते हुए कहा- जीवन तभी धर्ममय हो सकता है, जब वह सेवामय हो। यही विचार भारत की आत्मा से जुड़ा है, और यही सेवा भावना भारत को मानवता प्रधान राष्ट्र बनाती है। पीएम मोदी ने भारत की अहिंसा, सेवा और सह-अस्तित्व की परंपरा पर बल देते हुए कहा कि जब दुनिया हिंसा से हिंसा को समाप्त करने की कोशिश कर रही थी, तब भारत ने अहिंसा को समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। इस गरिमामय कार्यक्रम में अनेक साधु-संतों समेत जैन धर्मावलंबियों और गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति रही। प्रधानमंत्री ने अंत में आचार्य विद्यानंद जी के चरणों में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके आशीर्वाद की कामना की। हिदायत/ईएमएस 28जून25