भोपाल(ईएमएस)। रीवा में आंगनवाड़ी केंद्रों पर दिए जाने वाले पोषण की बदहाली पर जारी वीडियो को सिर्फ प्रशासनिक भ्रष्टाचार के रूप में ही नहीं देखा जाना चाहिए बल्कि इस भ्रष्टाचार के राजनीतिक कनैक्शन और संरक्षण को भी उजागर किया जाना चाहिए, क्योंकि रीवा के पहाडिय़ा स्थित इस संस्थान का संचालन भलें ही स्वंय सहायता समूहों से करवाया जा रहा हो, मगर इसके सीईओ की नियुक्ति भोपाल से राज्य शासन करता है। इसलिए प्रदेश की भाजपा की मोहन यादव सरकार और प्रभारी उप मुख्यमंत्री भी इस अपराध के घेरे में हैं। मार्क्सवादी कयुनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने उक्त बयान जारी करते हुए कहा है कि यह कितना अमानवीय है कि 6 माह से 6 साल के कुपोषित बच्चों, गर्भवती और स्तनपान करवाने वाली माताओं और शाला त्याग चुकी 11 से 14 साल की बच्चियों के कुपोषण को दूर करने के नाम पर दिया जाने वाला यह राशन दरअसल सड़ा ही नहीं जहरीला भी है, जो उनके जीवन के साथ खिलवाड़ है और यह अपराध राजनीतिक संरक्षण में हो रहा है। माकपा नेता ने कहा है कि इस जगह से रीवा के 100 आंगनवाड़ी केंद्रों को रैडी की ईट के नाम पर खिचड़ी, दलिया और दाल चावल सप्लाई किया जाता है और इसके साथ ही जहां से तैयार राशन प्रदेश के नौ जिलों, रीवा, सतना, मऊगंज, मैहर, सीधी, सिंगरौली, शहडोल, अनूपपुर और उमरिया में भी भेजा जाता है। जो अनाज पशुआहार के लिए भी उपयुक्त नहीं है, उसे आदिवासी बच्चों और महिलाओं को खिलाने की हरकत से भाजपा सरकार का मनुवादी और आदिवासी विरोधी चेहरा भी उजागर होता है। जसविंदर सिंह ने कहा है कि स्वंय सहायता समूहों के नाम पर भाजपा संघ से जुड़े संगठनों और भाजपा कार्यकर्ताओं को ही उपकृत कर रही है, इसलिए इस घटना से जुड़े सहायता समूहों की भी जांच किए जाने की आवश्यकता है। माकपा ने मांग की है कि जांच में इन सभी पहलुओं को शामिल किया जाना चाहिए। हरि प्रसाद पाल / 28 जून, 2025