वाशिंगटन (ईएमएस)। ब्लड टेस्ट के नए सरल तरीके से ल्यूकेमिया जैसे जानलेवा रक्त कैंसर का शुरुआती जोखिम को अब आसानी से पहचान सकेंगे। इजरायल और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक सरल लेकिन अहम रक्त परीक्षण विकसित किया है। इसे मायलोडिस्प्लास्टिक सिंड्रोम (एमडीएस) नामक रक्त विकार की जांच में बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। एमडीएस एक ऐसा विकार है जो गंभीर एनीमिया और माइलॉयड ल्यूकेमिया का कारण बन सकता है। अभी तक एमडीएस का पता लगाने के लिए मरीजों को बोन मैरो का नमूना देना पड़ता है, जिसमें लोकल एनीस्थीसिया की जरूरत होती है और यह प्रक्रिया काफी दर्दनाक और असुविधाजनक मानी जाती है। वैज्ञानिकों का यह नया ब्लड टेस्ट इस कठिन और कष्टदायक प्रक्रिया का विकल्प बन सकता है। इजरायल के वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि हमारे रक्त में बहने वाली दुर्लभ स्टेम कोशिकाएं एमडीएस के शुरुआती संकेत दे सकती हैं। उन्होंने सिंगल-सेल जेनेटिक सिक्वेंसिंग जैसी उन्नत तकनीक से इन कोशिकाओं का विश्लेषण किया और साबित किया कि साधारण ब्लड सैंपल से भी बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इसका मतलब है कि यह टेस्ट न केवल एमडीएस की पहचान को सरल बना सकता है बल्कि भविष्य में अन्य उम्र से जुड़ी रक्त बीमारियों को भी पकड़ने में मददगार होगा। शोध में यह भी सामने आया कि ये स्टेम कोशिकाएं एक बायोलॉजिकल क्लॉक की तरह काम करती हैं, जो व्यक्ति की उम्र और उसमें आने वाले बदलावों की जानकारी देती हैं। दिलचस्प बात यह है कि पुरुषों में इन कोशिकाओं में उम्र के साथ बदलाव महिलाओं के मुकाबले जल्दी आता है, जिससे उनके रक्त कैंसर का खतरा ज्यादा होता है। वीजमैन इंस्टीट्यूट की डॉ. नीली फ्यूरर ने बताया कि उम्र के साथ इन कोशिकाओं में बदलाव पुरुषों में जल्दी होता है और यही उन्हें अधिक जोखिम में डालता है। यह नई खोज रक्त कैंसर के इलाज को पहले से कहीं ज्यादा आसान, कम दर्दनाक और सुलभ बना सकती है। सुदामा/ईएमएस 01 जुलाई 2025