-इसके बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर होगा फैसला नई दिल्ली (ईएमएस)। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव पर फैसला लगातार डिले हो रहा है, लेकिन अब फैसले की घड़ी करीब है। राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव करने के लिए करीब आधे राज्यों के प्रदेश अध्यक्ष तय होने चाहिए। अब तक यूपी, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश जैसे कई बड़े राज्यों सहित 12 स्टेट यूनिट्स पर फैसला रुका हुआ था। अब इसकी शुरुआत हो गई है। सोमवार को मिजोरम के लिए के. बेइचुआ का नाम तय हुआ। वहीं पुदुचेरी के लिए वीपी रामलिंगम का नाम तय हुआ। यहीं नहीं तेलंगाना के लिए के. रामचंद्र राव का नाम तय माना जा रहा है और किसी भी समय ऐलान हो सकता है। इनके अलावा जल्दी ही यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्ष भी जल्दी ही तय हो जाएंगे। भाजपा सूत्रों का कहना है कि तेलंगाना, मिजोरम और पुदुचेरी में चुने गए अध्यक्षों में कॉमन फैक्टर रहा है कि वे सभी आरएसएस के बैकग्राउंड से आते हैं। इसतरह अन्य राज्यों में भाजपा हाईकमान इसतरह के लोगों को ही तवज्जो देने के मूड में है, जो संघ से जुड़े रहे हों या फिर उन्हें लाने से राज्य के सामाजिक समीकरण पूरे होते है। अब तक मिली जानकारी के अनुसार आंध्रप्रदेश से पीवीएन माधव का नाम तय माना जा रहा है। वे पुराने कार्यकर्ता हैं और उनका परिवार संघ से जुड़ा रहा है। इसके अलावा वे ओबीसी वर्ग से आते हैं। वहीं तेलंगाना में रामचंद्र राव ब्राह्मण समुदाय के नेता हैं। राज्य से ओबीसी बंदी संजय कुमार और जी. किशन रेड्डी केंद्र में मंत्री हैं। इसके बाद अब एक ब्राह्मण नेता को कमान देकर बैलेंस बनाया गया है। उत्तराखंड में महेश भट्ट को फिर से प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जो ब्राह्मण हैं। वहीं राजपूत लीडर पुष्कर सिंह धामी मुख्यमंत्री हैं। राज्य की राजनीति में ब्राह्मणों और राजपूतों का दबदबा रहा है और उनकी यहां आबादी भी अधिक है। ऐसी ही स्थिति हिमाचल प्रदेश की भी है। हिमाचल प्रदेश में राजीव बिंदल को ही अध्यक्ष नियुक्त किया है। वे वैश्य समुदाय से हैं। समीकरण यह है कि जेपी नड्डा ब्राह्मण हैं और केंद्र में मंत्री हैं। राजपूत लीडर जयराम ठाकुर नेता विपक्ष हैं। इसके बाद बीजेपी की सोच हैं कि एक वैश्य को प्रदेश अध्यक्ष रखा जाएगा। अब उत्तर प्रदेश में किसी ओबीसी नेता को कमान देने पर मंथन हो रहा है। इसके अलावा किसी ब्राह्मण नेता को भी कमान दे दी जाए, कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए। बीते कई सालों से योगी आदित्यनाथ सीएम हैं और ब्राह्मणों की उपेक्षा के आरोप लगते रहे हैं। फिलहाल यूपी में किसी के भी नाम पर नेता कुछ बोलने से इंकार कर रहे हैं। आशीष दुबे / 01 जुलाई 2025