राज्य
02-Jul-2025


नई दिल्ली (ईएमएस)। दिल्ली में 1 जुलाई से पुराने वाहनों को पेट्रोल-डीजल देने पर पाबंदी लगा दी गई है। रेखा सरकार के इस आदेश से निराश होकर एक शख्स ने अपनी एसयूवी गाड़ी ही बेच दी। रितेश गंडोत्रा नाम के शख्स के पास 8 साल पुरानी डीजल रेंज रोवर कार थी। उन्होंने बताया कि उनकी गाड़ी कोविड लॉकडाउन के दौरान दो साल तक खड़ी रही और इसमें अभी दो लाख किलोमीटर से ज्यादा चलने की क्षमता बाकी है। गंडोत्रा ने एक्स (पहले ट्विटर) पर बताया कि उनकी प्रीमियम कार अच्छी तरह से रखी हुई थी और सिर्फ 74,000 किलोमीटर चली थी। अब,उन्हें अपनी यह गाड़ी,जिसे उन्होंने 2018 में 55 लाख रूपये में खरीदा था,डीजल प्रतिबंध के कारण बहुत कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है। उन्होंने लिखा,मेरी कार 8 साल पुरानी है, एक डीजल गाड़ी है,जिसे मैंने बहुत अच्छे से रखा है और यह सिर्फ 74,000 किलोमीटर चली है। कोविड के दौरान यह दो साल तक खड़ी रही और इसमें अभी आसानी से 2 लाख किलोमीटर से ज्यादा चलने की क्षमता बची है,लेकिन एनसीआर में 10 साल के डीजल प्रतिबंध के कारण,अब मुझे इसे बेचना पड़ रहा है और वह भी एनसीआर के बाहर के खरीदारों को,जो बहुत कम कीमत दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि इसी सेगमेंट में अब नई गाड़ी खरीदने पर बहुत ज्यादा खर्च आता है। गंडोत्रा ने लिखा इससे भी बुरा यह है कि नई गाड़ी खरीदने पर 45 प्रतिशत जीएसटी + सेस लगता है। यह कोई ग्रीन पॉलिसी नहीं है। यह जिम्मेदार स्वामित्व और सामान्य ज्ञान पर एक सजा है। कई सोशल मीडिया यूजर्स ने इस पॉलिसी को अनुचित बताया और अधिकारियों से अपील की कि वे एक निश्चित उम्र की सीमा लगाने के बजाय कोई व्यावहारिक नीति अपनाएं। एक व्यक्ति ने टिप्पणी की कि मैं चाहता हूं कि पीएम मोदी जी व्यक्तिगत रूप से जनता की इस परेशानी को देखें। दिल्ली में पुरानी कारों पर प्रतिबंध लगाने के इस नियम में वाकई कुछ बदलाव की जरूरत है। वहां और यहां तक कि बाहर भी कोई खुश नहीं दिख रहा है। व्यक्तिगत रूप से मुझे भी लगता है कि यह बुरा है,जब तक कि सरकार पुरानी कारों के लिए अच्छे पैसे देने या पुरानी कार मालिकों को नई कार खरीदने पर कम या कोई टैक्स न देने जैसा कुछ नहीं करती,कुछ किया जाना चाहिए। एक अन्य यूजर ने लिखा एक तय उम्र सीमा लागू करने के बजाय,फिटनेस या प्रदूषण जांच-आधारित मॉडल (जैसे यूरोप में) पर्यावरण और निष्पक्षता के बीच बेहतर संतुलन बना सकता है। अगले यूजर ने लिखा यह मूल रूप से एक ऐसा गिरोह है जो आपको बेवजह एक नया वाहन खरीदने के लिए मजबूर कर रहा है ताकि वे अधिक टैक्स कमा सकें। नए वाहनों की जबरन बिक्री से टैक्स कलेक्शन बढ़ाने की यह एक बहुत ही चालाक लेकिन आलसी नीति है। अजीत झा /देवेन्द्र/नई दिल्ली/ईएमएस/02/जुलाई /2025