प्रयागराज,(ईएमएस)। मोहर्रम की पांचवीं तारीख को प्रयागराज की फिजाओं में अकीदत की बयार बहती रही। बुड्ढा ताजिया की मेहंदी को कंधा देने के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। या अली, या हुसैन की सदाओं से पुराने शहर की गलियां गूंज उठीं और हर ओर इमाम हुसैन की शहादत को श्रद्धा और सम्मान के साथ याद किया गया। इस मोहर्रम बुड्ढा ताजिया की मेहंदी को गुलाब के फूलों से खूबसूरती से सजाया गया था। जैसे ही मेहंदी इमामबाड़े से उठी, खुल्दाबाद चौराहे से होते हुए करेली बैरियर तक उसका गश्त शुरू हुआ। रास्तों के दोनों ओर लोगों की भारी भीड़ मौजूद रही। छतों, बारजों और दुकानों से औरतें और बच्चे मेहंदी का दीदार करते देखे गए। कोई भी अव्यवस्था न हो, इसके लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह सतर्क रहा। इस बीच डीसीपी सिटी अभिषेक भारती, एसीपी राजकुमार मीणा भी गश्त करते नजर आए। खुल्दाबाद, कोतवाली, शाहगंज, अतरसुइया और मुठ्ठीगंज थाने की फोर्स तैनात रही। इसके साथ ही ड्रोन कैमरों से निगरानी भी की गई। शहर के कोने-कोने से पहुंचे अकीदतमंद बुड्ढा ताजिया की मेहंदी को कंधा देने वालों में रोशनबाग, अटाला, अकबरपुर, करेली, निकालपुर, शाहगंज, बहादुरगंज, दरियाबाद, मंसूर पार्क, गुलाब बाड़ी और चकिया जैसे इलाकों से लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। मोहर्रम का सिलसिला जारी प्रयागराज में मोहर्रम माह का चांद दिखाई देने के साथ ही आयोजन शुरू हो जाते हैं। इसी तारतम्य में परंपरानुसार अलग-अलग इमामबाड़ों से मेहंदी, अलम और जुलूस निकाले जा रहे हैं। सब्जी मंडी की मेहंदी के बाद अब बुड्ढा ताजिया की मेहंदी को लेकर माहौल पूरी तरह श्रद्धा और मातम से भरा रहा। बुड्ढा ताजिया की मेहंदी न सिर्फ एक धार्मिक रस्म थी, बल्कि यह हिंदू-मुस्लिम साझा संस्कृति और गंगा-जमुनी तहजीब का भी प्रतीक रही। हिदायत/ईएमएस 02जुलाई25