नई दिल्ली (ईएमएस)। गर्मियों के मौसम में पाए जाने वाला जामुन का फल खट्टा-मीठा स्वाद लिए हुए होता है और अक्सर लोग इसे नमक लगाकर बड़े चाव से खाते हैं। इस फल को स्वाद और सेहत दोनों के लिहाज से बेहद खास माना जाता है। जामुन का वैज्ञानिक नाम सिजीगियम क्यूमिनी है। इसका उल्लेख भारतीय पौराणिक कथाओं और आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है। भारत में इसकी खेती प्राचीन काल से होती आ रही है और आयुर्वेद में इसे विशेष महत्व प्राप्त है। जामुन सिर्फ खाने में ही स्वादिष्ट नहीं बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। आयुर्वेद के अनुसार यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और शरीर को डिटॉक्स करने में मदद करता है। इसमें ग्लूकोज और फ्रक्टोज जैसे प्राकृतिक शर्करा स्रोत होते हैं, और यह अन्य फलों की तुलना में कम कैलोरी प्रदान करता है, जिससे यह वजन नियंत्रित रखने वालों के लिए भी अच्छा विकल्प बन जाता है। एक रिपोर्ट के अनुसार जामुन डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल, हाई ब्लड प्रेशर और मोटापे जैसी समस्याओं के इलाज में खासतौर पर उपयोगी माना जाता है। इसके नियमित सेवन से मेटाबॉलिक सिंड्रोम जैसी स्थितियों में भी लाभ हो सकता है। आयुर्वेदिक ग्रंथ सुश्रुत संहिता में बताया गया है कि जामुन में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन को बेहतर बनाता है और कब्ज, गैस, सूजन और एसिडिटी जैसी समस्याओं को रोकने में सहायक है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी पाए जाते हैं जो त्वचा को स्वस्थ रखने और उम्र के असर से पड़ने वाली झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं। इसके अलावा जामुन की गुठलियां भी बेहद उपयोगी मानी जाती हैं। बुजुर्ग अक्सर सलाह देते हैं कि इसकी गुठलियों को फेंका न जाए। इन्हें सुखाकर चूर्ण बना लिया जाता है, जिसका सेवन शुगर के मरीजों के लिए लाभकारी माना जाता है। इसके सेवन से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने और शरीर को डिटॉक्स करने में भी मदद मिलती है। नियमित रूप से इसके बीजों के चूर्ण का सेवन शरीर को साफ और हल्का बनाए रखने में सहायक है। इसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस जैसे खनिज भी होते हैं जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याओं का खतरा कम करते हैं। सुदामा/ईएमएस 04 जुलाई 2025