नई दिल्ली (ईएमएस)। बढती उम्र में बुजुर्गों के लिए कुर्सी योग एक बेहतरीन विकल्प बनकर उभरा है। बुजुर्ग जो फर्श पर बैठने या उठने में असमर्थ हैं, जोड़ों के दर्द या मांसपेशियों की कमजोरी से जूझ रहे हैं, उनके लिए यह तरीका खास तौर पर उपयोगी साबित हो रहा है। कुर्सी का सहारा लेकर किया जाने वाला योग न केवल पारंपरिक आसनों को आसान बनाता है बल्कि इसे अधिक सुरक्षित भी करता है। कुर्सी योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान का अभ्यास कुर्सी पर बैठकर या उसका सहारा लेकर किया जाता है। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे घर के अलावा पार्क या किसी भी शांत जगह पर आसानी से किया जा सकता है और इसके लिए सिर्फ एक स्थिर और मजबूत कुर्सी की जरूरत होती है। इसका नियमित अभ्यास कई तरह के शारीरिक और मानसिक फायदे देता है। कुर्सी योग जोड़ों की जकड़न को कम करता है, मांसपेशियों को मजबूत बनाता है और शरीर में लचीलापन बढ़ाता है। प्राणायाम और गहरी सांस लेने की तकनीकों से यह तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है, जिससे मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा हृदय को स्वस्थ बनाए रखने, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने और नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए भी कुर्सी योग प्रभावी माना जाता है। बुजुर्गों के लिए यह व्यायाम का एक सुरक्षित और सरल तरीका है जिसमें किसी तरह का बड़ा जोखिम नहीं होता। आयुष मंत्रालय के मुताबिक, कुर्सी योग की शुरुआत आसान आसनों से की जा सकती है, जैसे कंधे और गर्दन की हल्की स्ट्रेचिंग, पैरों की गति और सहारे के साथ खड़े होकर किए जाने वाले हल्के आसन। विशेषज्ञों की सलाह है कि इसे प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में शुरू करना बेहतर होता है ताकि सही तकनीक और लय विकसित हो सके। विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि सप्ताह में केवल 2 से 3 बार 20 से 30 मिनट का अभ्यास भी पर्याप्त लाभ दे सकता है। कुर्सी योग सिर्फ बुजुर्गों के लिए ही नहीं बल्कि उन सभी के लिए एक सुरक्षित और सुलभ विकल्प है जो योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहते हैं। सुदामा/ईएमएस 04 जुलाई 2025