नई दिल्ली(ईएमएस)। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बृहस्पतिवार को कहा कि संसद में बार-बार होने वाले व्यवधानों में काफी कमी आई है, जिसके परिणामस्वरूप कार्य उत्पादकता और सार्थक चर्चा में वृद्धि हुई है। मानेसर, गुरुग्राम में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शहरी स्थानीय निकायों के अध्यक्षों के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए बिरला ने कहा कि लोक सभा में सत्र देर रात तक चलते हैं और लंबे समय तक वाद-विवाद होता है, जो इस बात को दर्शाता है कि लोकतांत्रिक संस्कृति परिपक्व और जिम्मेदार हो रही है। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों से जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को और मजबूत करने के लिए नियमित बैठकें करने, सुदृढ़ समिति प्रणालियां विकसित करने और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के साथ-साथ सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं को अपनाने का आह्वान किया। 3-4 जुलाई को गुरुग्राम में इंटरनेशनल सेंटर फॉर ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी, मानेसर में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन पूरे भारत के शहरों में भागीदारीपूर्ण शासन संरचनाओं के माध्यम से संवैधानिक लोकतंत्र को मजबूत करने और राष्ट्र निर्माण में शहरी स्थानीय निकायों की भूमिका पर चर्चा करने की ऐतिहासिक पहल है। इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह और हरियाणा विधान सभा के अध्यक्ष हरविंदर कल्याण सहित अन्य लोग मौजूद थे। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के नगरपालिका अध्यक्ष, निर्वाचित प्रतिनिधि और वरिष्ठ प्रशासक साझी लोकतांत्रिक भावना के साथ इस सम्मेलन में शामिल हुए हैं। बिरला ने शहरी स्थानीय निकायों में प्रश्न काल और शून्य काल जैसी सुस्थापित लोकतांत्रिक प्रथाओं को शामिल करने के महत्व पर जोर देते हुए प्रतिनिधियों को बताया कि संसद में ऐसे प्रावधानों ने कार्यपालिका को जवाबदेह बनाए रखने और जनता के सरोकारों को व्यवस्थित रूप से मुखरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस बात का उल्लेख करते हुए कि नगरपालिका की कम अवधि की, अनियमित या तदर्थ बैठकें स्थानीय शासन को कमजोर करती हैं। उन्होंने नियमित, संरचित सत्रों, स्थायी समितियों के गठन और व्यापक जन परामर्श का समर्थन किया। संसद की तरह, शहरी स्थानीय निकायों को भी व्यवधानों से बचना चाहिए तथा रचनात्मक और समावेशी चर्चाएं करणी चाहिए। बिरला ने शहरी स्थानीय निकायों को जनता के सबसे नजदीक बताते हुए कहा कि इन निकायों के प्रतिनिधि लोगों को पेश आने वाली चुनौतियों और जरूरतों के बारे में गहराई से जानते हैं। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम जैसे शहरों में शहरी परिवर्तन आर्थिक जीवंतता और लोकतांत्रिक भागीदारी दोनों को दर्शाता है। भारत की सभ्यतागत विरासत का प्रतीक होने से लेकर नवाचार और उद्यम का केंद्र बनने की यात्रा में गुरुग्राम यह दर्शाता है कि सरकारों और सशक्त स्थानीय संस्थाओं के समन्वित प्रयासों से क्या कुछ हासिल किया जा सकता है। उन्होंने सभी प्रतिभागियों से नागरिकों के साथ प्रभावी संवाद करने, दीर्घकालिक नीति नियोजन और नगरपालिका के कामकाज में निरंतर सुधार सुनिश्चित करने का आह्वान किया। उन्होंने शहरी स्थानीय निकायों को शहरी माँगों का पूर्वानुमान लगाने, क्षमता निर्माण में निवेश करने और जानकारी साझा करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि भारत के शहर समावेशी और वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी बनें। वीरेंद्र/ईएमएस/04जुलाई2025