इन्दौर (ईएमएस) मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय खंडपीठ इन्दौर में जस्टिस विवेक रुसिया व जस्टिस बी. के. द्विवेदी की युगल पीठ ने पूर्व पार्षद महेश गर्ग द्वारा एडवोकेट प्रतीक माहेश्वरी की ओर से बिजली के बढ़ते दामों के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते कोर्ट ने विद्युत नियामक आयोग व बिजली कंपनी का जवाब कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है को अमान्य कर उनकी आपत्ति को खारिज जवाब देने के निर्देश दिए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से सुनवाई दौरान एडवोकेट माहेश्वरी ने कोर्ट के समक्ष तर्क रखे कि एक तरफ घरेलू और ओद्योगिक बिजली की कीमत बढ़ रही है, दूसरी ओर सरकार द्वारा माफ की जा रहे बिल राशि एवं सरकारी योजनाओं की सब्सिडी जमा नहीं की जा रही है। इस कारण आम जनता को इन बढ़ती कीमतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार सब्सिडी जमा कर देती तो बिजली कंपनी के घाटे का भार जनता पर नहीं आता। देश में मध्य प्रदेश में बिजली सबसे अधिक महंगी है। नियामक आयोग भी इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रहा है। यही नहीं आयोग द्वारा बिजली कंपनी द्वारा बताए जा रहे हिसाब को अप्रूव कर दिया जाता है। जिसके बाद कोर्ट ने बिजली कंपनी से बढ़ती क़ीमत का आधार एवं सरकारी सब्सिडी की राशि जमा नहीं करने का कारण पूछा तो कंपनी कोई जवाब नहीं दे पाई। तब कोर्ट ने बिजली कंपनी द्वारा बिजली दर तय करने की प्रक्रिया समझी। और याचिका पर बिजली कंपनी को जवाब देने को कहा। याचिका में राज्य शासन, बिजली कंपनी इंदौर, प्रमुख सचिव ऊर्जा व अन्य को पक्षकार बनाया गया है। आनन्द पुरोहित/ 05 जुलाई 2025