राज्य
05-Jul-2025


भोपाल(ईएमएस)। ज़ूनोटिक बीमारियाँ वे बीमारियाँ होती हैं जो पशुओं और इंसानों के बीच फैल सकती हैं। ये बीमारियाँ पशुओं और इंसानों दोनों को प्रभावित कर सकती हैं एवं कभी-कभी गंभीर रूप से या जानलेवा भी हो सकती हैं। इनसे पशुपालकों को अधिक खतरा होता है। पशुओं के साथ ज़्यादा समय बिताने से संपर्क बढ़ता है, जिससे जोखिम भी बढ़ता है। ज़ूनोटिक बीमारियाँ तब फैलती हैं जब इंसान किसी संक्रमित पशु या उससे जुड़ी वस्तुओं के संपर्क में आता है। कुछ आम ज़ूनोटिक बीमारियों में रेबीज शामिल है, जो पशु के काटने से फैलती है और समय पर टीका न लगवाने पर जानलेवा हो सकती है। ब्रुसेलोसिस संक्रमित पशुओं के दूध या सीधे संपर्क से फैलती है, जिससे बुखार, जोड़ों में दर्द और गर्भपात हो सकता है। टीबी (ट्यूबरकुलोसिस) संक्रमित पशुओं के संपर्क, दूध या मांस के सेवन से फैल सकती है। एंथ्रैक्स संक्रमित जीवित या मृत पशुओं और उनके उत्पादों से फैलता है। बर्ड फ्लू बीमार पक्षियों या उनकी बीट के संपर्क से फैलता है, जबकि साल्मोनेला कच्चे मांस, दूध या अंडों के ज़रिए इंसानों में संक्रमण फैला सकता है। इन ज़ूनोटिक बीमारियों से बचाव के लिए सावधानी बरतना बेहद ज़रूरी है। बीमार या मरे हुए पशुओं से दूरी बनाए रखें और उन्हें बिना सुरक्षा उपकरणों के न छुए। पशुओं के शवों का निपटान निर्धारित प्रक्रिया अनुसार करें। बच्चों को बीमार पशुओं से दूर रखें। हमेशा दूध को उबालकर और मांस व अंडों को अच्छी तरह पकाकर ही सेवन करें। पशुओं का नियमित टीकाकरण कराएं, विशेषकर रेबीज और ब्रुसेलोसिस जैसी बीमारियों के टीके अवश्य लगाए। पशुओं की देखभाल करते समय दस्ताने, मास्क और अन्य सुरक्षात्मक उपकरणों का उपयोग करें। साफ-सफाई का ध्यान रखें, पशु बाड़ों और उपकरणों को नियमित रूप से कीटाणुनाशक से साफ करें, और संदिग्ध मामलों में तुरंत पशु चिकित्सक या स्वास्थ्य अधिकारी से संपर्क करें। 6 जुलाई को विश्व ज़ूनोटिक दिवस मनाने का उद्देश्य है लोगों को इन बीमारियों के बारे में जागरूक करना और एक स्वस्थ, सुरक्षित समाज की दिशा में कदम बढ़ाना। पशुपालन से जुड़े सभी लोगों की ज़िम्मेदारी है कि वे स्वयं सुरक्षित रहें और दूसरों को भी सुरक्षित रखने में योगदान दें। हरि प्रसाद पाल / 05 जुलाई, 2025