चंडीगढ़,(ईएमएस)। पंजाब में बिक्रम सिंह मजीठिया मामले में शनिवार को मोहाली की विशेष कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री मजीठिया को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। यह फैसला 11 दिन के पुलिस रिमांड के बाद आया है, जो 540 करोड़ रुपए की कथित ड्रग मनी लॉन्ड्रिंग और आय से अधिक संपत्ति के मामले में सुनाया गया था। पंजाब विजिलेंस ब्यूरो का आरोप है कि मजीठिया ने ड्रग कारोबार से अर्जित रकम को वैध संपत्ति में बदला। शिमला में 400 हेक्टेयर जमीन की बेनामी संपत्ति की भी जांच चल रही है। 29 मोबाइल, 4 लैपटॉप, 2 आईपेड, कई डायरियां और 500 करोड़ से जुड़े दस्तावेज जब्त किए गए हैं। सराया इंडस्ट्रीज से जुड़े लेनदेन में 161 करोड़ नकद और 141 करोड़ विदेशी निवेश की अनियमितता बताई गई है। विजिलेंस ने मजीठिया का रिमांड बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन मजीठिया के वकीलों ने इसका विरोध किया। वकीलों ने कहा कि कोई नया सबूत नहीं है और यह राजनीतिक द्वेष का मामला है। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया। मजीठिया ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताते हुए याचिका दायर की है। याचिका में इसे राजनीतिक प्रतिशोध की कार्रवाई बताया गया है। इस याचिका पर 4 जुलाई को सुनवाई हुई थी, लेकिन अंतिम फैसला अभी लंबित है। बता दें मजीठिया को 25 जून को अमृतसर स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया था। 2021 के ड्रग तस्करी मामले में वे 2022 में 5 महीने जेल में रह चुके हैं और अगस्त 2022 में जमानत पर रिहा हुए थे। यह नई गिरफ्तारी प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत हुई। एसएडी प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने इसे आप सरकार की साजिश बताया है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं को मोहाली आने से रोका गया। दूसरी ओर विजिलेंस ने बताया कि पूर्व डीजीपी सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय और ईडी के पूर्व डिप्टी डायरेक्टर निरंजन सिंह के बयान जांच में अहम हैं। बिक्रम मजीठिया की दोबारा गिरफ्तारी और अब न्यायिक हिरासत ने पंजाब की राजनीति को गरमा दिया है। यह मामला आने वाले चुनावी समीकरणों और कानूनी प्रक्रिया दोनों को प्रभावित कर सकता है। आगामी सुनवाई में यह तय होगा कि क्या यह राजनीतिक प्रतिशोध है या न्यायिक प्रक्रिया की दिशा में अहम कदम। सिराज/ईएमएस 06जुलाई25 -----------------------------------