राष्ट्रीय
07-Jul-2025


भोपाल (ईएमएस)। मध्य प्रदेश में पुलिस विभाग में हुई एक चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है, जहाँ एक कॉन्स्टेबल, अभिषेक उपाध्याय, 12 साल तक बिना काम किए घर बैठे वेतन लेता रहा। दरअसल उपाध्याय की भर्ती साल 2011 में मध्य प्रदेश पुलिस में हुई थी। अभिषेक को भोपाल पुलिस लाइन में तैनात किया और फिर पुलिस ट्रेनिंग के लिए सागर भेजा गया। इसके बाद अभिषेक न सागर ट्रेनिंग सेंटर पहुँचे और न ही किसी को इसकी सूचना दी। वे सीधा अपने घर विदिशा लौट गए। उन्होंने न छुट्टी के लिए आवेदन दिया और न ही कोई मेडिकल पेपर संबंधित विभाग के पास जमा किया। उन्होंने अपनी सर्विस फाइल स्पीड पोस्ट से भोपाल भेज दी, जिसमें उन्होंने लिखा कि उनकी तबीयत खराब थी। हैरानी की बात यह रही कि सिस्टम में कहीं कोई गड़बड़ी नहीं दिखी। भोपाल ऑफिस ने मान लिया कि उनकी ट्रेनिंग शुरू हो चुकी है, जबकि सागर सेंटर को जानकारी ही नहीं थी कि अभिषेक नहीं पहुँचे। इस तरह, 12 साल तक उन्हें हर महीने वेतन मिलता रहा। 10 साल बाद, जब समयमान वेतनमान लागू होना था और सर्विस रिकॉर्ड की जाँच की गई, तब अभिषेक के नाम के आगे न कोई पुरस्कार का जिक्र था, न ही कोई सजा के बारे में लिखा था। इससे अधिकारियों को शक हुआ। जब अभिषेक से संपर्क किया गया, तब पता चला कि वह कभी नौकरी पर था ही नहीं और घर पर ही बैठा था। इस बारे में एसीपी अंकिता खतेड़कर के अनुसार, अभिषेक उपाध्याय ने 12 साल में विभाग से करीब 35 से 40 लाख रुपये की सैलरी ली होगी। वहीं अभिषेक ने अपनी गलती स्वीकार कर कहा है कि वह नया-नया भर्ती हुआ था और पुलिस विभाग की प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं थी। उसका स्वास्थ्य खराब था और वह मानसिक रूप से भी ठीक नहीं था, जिसका वह इलाज करवा रहा था। वहां ली गई सैलरी में से 1 लाख रुपये जमा कर चुका है और बाकी भी धीरे-धीरे चुका देगा। यह घटना मध्य प्रदेश पुलिस विभाग में आंतरिक नियंत्रण और जवाबदेही की गंभीर कमी को उजागर करती है। आशीष दुबे / 07 जुलाई 2025