क्षेत्रीय
07-Jul-2025
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ग्वालियर ( ईएमएस ) । डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कोलकाता के एक प्रतिष्ठित परिवार में हुआ। इंग्लैंड से वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने न केवल कानून के क्षेत्र में योगदान दिया, बल्कि शिक्षाविद के रूप में भी उल्लेखनीय कार्य किया। मात्र 33 वर्ष की उम्र में वे कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति बने और भारतीय भाषाओं में शिक्षा को बढ़ावा दिया। आगे चलकर देश के पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल में उद्योग मंत्री के रूप में कार्य किया। लेकिन उनके राष्ट्रवादी विचारों के चलते मतभेद उभरे और उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देकर 1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना की जो आगे चलकर भारतीय जनता पार्टी बनी। उक्त बात सोमवार को प्रदेश महामंत्री एवं विधायक भगवानदास सबनानी ने बाल भवन में आयोजित संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर संगोष्ठी को जिलाध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया, पूर्व सांसद विवेक शेजवलकर तथा पूर्व जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा ने भी संबोधित किया। *डॉ. मुखर्जी एवं पं. उपाध्याय जी के बारे में हर कार्यकर्ता को जानकारी होनी चाहिए* भगवानदास सबनानी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के हर एक कार्यकर्ता को डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी और पं दीनदयाल उपाध्याय जी के बारे में जानकारी होना चाहिए। एक ने प्रखर राष्ट्रवाद की बात और एक ने एकात्म मानव दर्शन का प्रतिपादन ग्वालियर में किया और वो विचार दुनिया में मान्य हो रहा है। आज अगर भारत दूसरी अर्थव्यवस्था बना है तो हमें उनके बारे में स्मरण करते रहना चाहिए। इस अवसर पर जिलाध्यक्ष जयप्रकाश राजौरिया ने कहा कि डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उन्होंने धारा 370 का संसद में विरोध किया और ऐलान किया था कि एक देश में दो प्रधान, दो निशान और दो संविधान नहीं चलेंगे। *डॉ. मुखर्जी प्रखर राष्ट्रवादी विचारक व महान शिक्षाविद थे- विवेक शेजवलकर* इस अवसर पर पूर्व सांसद श्री विवेक शेजवलकर ने कहा कि भारत की एकता एवं अखंडता के लिए अपने प्राणों की बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी विचारक व महान शिक्षाविद थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश की एकता एवं देशवासियों के कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। जब वे जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 के विरोध में सत्याग्रह करते हुए सीमा पार गए और वहीं हिरासत में रहते हुए उनका निधन हो गया। उन्होंने बताया कि डॉ. मुखर्जी ने डॉ. हेडगेवार और वीर सावरकर जैसे राष्ट्रनायकों से संपर्क साधा और भारत की अखंडता के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इस अवसर पर मंच पर पूर्व जिलाध्यक्ष अभय चौधरी, महेंद्र यादव, मुन्नालाल गोयल, पूर्व जिलाध्यक्ष देवेश शर्मा, गंगाराम बघेल, पूर्व साडा अध्यक्ष जय सिंह कुशवाह, अशोक शर्मा, जिला महामंत्रीगण विनोद शर्मा, विनय जैन, राजू पलैया, संतोष गोडयाले, श्री गिर्राज व्यास उपस्थित रहे । इस अवसर पर पूर्व महापौर श्रीमती समीक्षा गुप्ता, प्रदेश कार्य समिति सदस्य राकेश जादौन, अशोक जैन, श्रीमती सुमन शर्मा, राकेश माहौर, किशन मुद्गल, श्रीमती मीना सचान, , सहित जिला पदाधिकारी, मण्डल अध्यक्षगण, पार्षद, मोर्चा/ प्रकोष्ठ के अध्यक्ष/ संयोजक सहित ज्येष्ठ श्रेष्ठ कार्यकर्तागण उपस्थित रहे ।