राज्य
07-Jul-2025
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:: हमारी सनातन संस्कृति में कुछ भी कपोल कल्पित नहीं, सब कुछ सच्चा : स्वामी प्रणवानंद सरस्वती इंदौर (ईएमएस)। श्रीधाम वृंदावन के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंद सरस्वती ने सोमवार को गीता भवन में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ के पाँचवें दिन बाल लीला और गोवर्धन पूजा उत्सव प्रसंगों की व्याख्या करते हुए कहा कि सच्चे मन से की गई भगवान की भक्ति कभी निष्फल नहीं होती। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृष्ण की बाल लीलाएँ, चाहे वह पूतना वध से शुरू होकर कंस वध तक हों, सभी में भक्तों के कल्याण का ही भाव निहित है। महाराजश्री ने बताया कि ब्रज की भूमि आज भी भगवान की लीलाओं की साक्षी है, जहाँ हजारों वर्ष बाद भी गोपीगीत, महारास और कालियादेह नाग के मर्दन के जीवंत उदाहरण मौजूद हैं। उन्होंने दृढ़ता से कहा, हमारी सनातन संस्कृति में कुछ भी कपोल-कल्पित नहीं, सब कुछ सच्चा है। जितने प्रसंग हमारे धर्मशास्त्रों में बताए गए हैं, उन सबके प्रमाण आज भी देखे जा सकते हैं। कथा शुभारंभ से पूर्व समाजसेवी सुरेश-मृदुला शाहरा, लक्ष्मणसिंह राठौर, दिनेश तिवारी, कमला पवार, बच्चनलाल दुबे सहित गीता भवन ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने व्यासपीठ का पूजन किया। इस दौरान गोवर्धन पूजा के लिए विशेष रूप से बाल-ग्वालों संग गोवर्धन पर्वत की झाँकी भी सजाई गई थी और उन्हें 56 भोग समर्पित किए गए। गिरिराज को अपनी एक उंगली पर धारण करने की झाँकी को भक्तों ने बड़ी श्रद्धा के साथ निहारा। गीता भवन में भागवत ज्ञान यज्ञ का यह प्रवाह 9 जुलाई तक प्रतिदिन दोपहर 3:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक चलेगा। मंगलवार को रुक्मिणी विवाह का उत्सव मनाया जाएगा। महामंडलेश्वर स्वामी प्रणवानंदजी ने आगे कहा कि भगवान का अवतरण भक्तों की रक्षा और दुष्टों के नाश के लिए ही होता है। उनकी लीलाओं में प्राणीमात्र के प्रति सद्भाव और कल्याण का चिंतन होता है। उन्होंने कहा कि संसार की दृष्टि से भगवान की लीलाओं का चाहे जो अर्थ निकाला जाए, यह शाश्वत सत्य है कि यदि हमारी भक्ति अडिग और अखंड रहेगी तो भगवान को रक्षा के लिए आना ही पड़ेगा। भक्ति को निष्काम और निर्दोष होना चाहिए, क्योंकि भक्ति ही मनुष्य को निर्भयता प्रदान करती है। उन्होंने भारत भूमि को चमत्कारिक बताया, जहाँ सबसे ज्यादा देवी-देवता अवतार लेते हैं और लीलाओं का अलौकिक मंचन होता है। प्रकाश/7 जुलाई 2025