दिल्ली विधानसभा चुनाव के समय केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। दिल्ली विधानसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को इसका बड़ा फायदा हुआ था। दिल्ली में आम आदमी पार्टी रुखसत हो गई। भाजपा सत्ता मे आ गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस वर्ष की शुरुआत में कहा गया था। वह दिल्ली विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद, केंद्रीय वेतन आयोग का गठन करेगी। दिल्ली में भाजपा की सरकार भी बन गई है इसके बाद भी अभी तक 7वें वेतन आयोग की अधिकृत घोषणा नहीं की गई है। नाही वेतन आयोग के अध्यक्ष और आयोग के सदस्यों की घोषणा हुई। केंद्र सरकार के सभी कर्मचारियों को आठवें वेतन आयोग का इंतजार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठवें वेतन आयोग के गठन की बात कही थी। कर्मचारियों को लग रहा है, जल्द ही आयोग के गठन की अधिसूचना जारी होगी। 2027 तक आठवें वेतन आयोग की अनुशंसा लागू हो जाएंगी। केंद्रीय कर्मचारियों को जिन्हें वर्तमान में 18000 रुपये मूल वेतन प्राप्त हो रहा है, उन्हें 51480 रुपए तक का लाभ हो सकता है। लेवल 2 के कर्मचारी जिनका वेतन 19000 है, वह बढ़कर 56914 रुपए हो सकता है। लेवल 3 के कर्मचारियों का वेतन 21700 से बढ़कर 62062 रुपए हो सकता है। लेवल 6 का मूल वेतन अभी 35400 है, जो बढ़कर 100000 रूपये के आसपास हो सकता है। इससे आईपीएस, आईएएस अधिकारियों सहित स्तर 10 तक के अधिकारियों को इसका बड़ा लाभ होना तय है। केंद्रीय वेतन आयोग जो अनुशंसा करता है। उसके अनुसार भारत सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन ढांचे को संशोधित कर मूल वेतन और भत्तों में वृद्धि करती है। केंद्र सरकार द्वारा जब वेतन आयोग की अनुशंसा लागू कर दी जाती है, उसके बाद राज्यों में भी सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन ओर भत्तों में वृद्धि होती है। अभी 2016 मे गठित 7वें वेतन आयोग की अनुशंसा के अनुसार केंद्रीय कर्मचारियों और कुछ राज्यों के कर्मचारियों को वेतन भक्तों का लाभ मिल रहा है। सरकारी कर्मचारियों द्वारा आठवें वेतन आयोग का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। राज्यों के भी सरकारी कर्मचारी वेतन आयोग के गठन को लेकर आसान्वित हैं। जैसे ही आठवें वेतन आयोग का गठन होगा, उसके बाद केंद्र के साथ-साथ राज्यों के अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतनमान में वृद्धि होगी। वर्तमान में वेतनमान का मानक स्तर सातवें वेतन आयोग के अनुसार 2.57 था। केंद्रीय कर्मचारियों को उम्मीद है, यह बढ़कर 2.86 मानक स्तर हो जाएगा। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के ऊपर वेतन और पेंशन का बोझ लगातार बढ़ता चला जा रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के ऊपर सबसे ज्यादा बोझ पेंशन का है। वेतन आयोग की सिफारिश के बाद पेंशन में भी वृद्धि होती है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के ऊपर लगातार कर्ज बढ़ता चला जा रहा है। राज्यों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। केंद्र एवं राज्य सरकारों के ऊपर ब्याज का बोझ लगातार बढ़ रहा है। केंद्र सरकार ने 6 महीने पहिले वेतन आयोग के गठन की घोषणा की थी। उसके बाद भी अभी तक आठवें वेतन आयोग के गठन की अधिसूचना जारी नहीं हुई है। दिल्ली विधानसभा चुनाव के पहले केंद्रीय कर्मचारियों को प्रभावित करने के लिए उस समय इसे चुनावी हथकंडा माना गया था। इस साल के अंत में बिहार विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। अगले साल 6 राज्यों के विधानसभा चुनाव होने हैं। वेतन आयोग का मामला राज्यों से भी जुड़ा होता है। केंद्र में जब वेतन और भत्ते बढ़ते हैं, उसके बाद राज्यों में भी वेतन, पेंशन और भत्तों में वृद्धि होती है। केंद्र सरकार द्वारा जल्द ही आठवें वेतन आयोग की घोषणा नहीं की गई, तो इसका असर आगामी विधानसभा के चुनावों में पड़ना तय है। केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी दबाव बना रहे हैं। सरकार जल्द से जल्द आठवें वेतन आयोग का गठन करे। कर्मचारी संगठनों द्वारा अभी से हिसाब किताब लगाना शुरू कर दिया गया है। उनके वेतन भत्तों में कितनी वृद्धि होगी। बहरहाल सरकारी कर्मचारियों को आठवें वेतन आयोग के गठन का इंतजार है। देखें यह कब पूरा होता है। ईएमएस / 08 जुलाई 25