आज सब अपना देखते हैं यही ख़र्ज है आज महंगाई में मिडिल क्लास का जीना हराम हो गया है सैलरी लगता खुब मिलता है लेकिन खर्च भी बढ़ता जा रहा है 100 रूपये का आज क्या वैल्यू है उसपर सव्जी का फल का रेट देखिए अब वो जमाना गया कि कैसे भी एडजस्ट करते थे और पढ़ाई भी सस्ती थी सब्जियाँ फल तो घर में ही उगा लेते थे और काम भी चल जाता था अब बिगबास्केट, ज़ेप्टो, ग्रोफर जैसी तमाम ग्रोसरी से लेकर फल सब्जियाँ देती है घर पर ही जो ताजी नहीं मिलती और बापस करने पर तमाम तरह के फोटो रिटर्न्स नहीं होगा और ठगा ठगा महसूस करता है बिगबास्केट तो बिल्कुल ख़राब समान दे रहा है कितनी बार फंगस लगा हुआ मिला और बार बार ऐसा होने पर अकाउंट ही लॉक कर दिया दरअसल मैं ऑनलाइन के चक्कर में नहीं रहता हूँ लेकिन ऐ आज फॅमिली की पसंद बन गई है पहले सब्जी खरीदने बाजार निकलते थे उससे कई गुना सस्ता समान आज भी आप सब्जियाँ बाजार से खरीद कर देंखे इससे आपके दो फायदा होगा आपका घूमना भी होगा और वहाँ भी जो अच्छा होगा आप चुन कर लेंगे और इसी बहाने फल भी खरीद लेंगे आप एक बार आजमाने की कोशिश करें हाँ किराना का सामान हो सकता है सस्ता ना मिले लेकिन घुन या फंगस लगा हुआ सामान नहीं मिलेगा क्योंकि वहाँ किराना स्टोर उसे फेंक देती है जबकी बिगबास्केट आदि यही सामान क़ो बिल्कुल एक्सपायरी डेट के करीब का देती है जो एक तरह से रोड पर मारा मारा फिरता है और कई तो उसे एक्सपायरी डेट क़ो ही रीप्रिंट कर देते है पहले सामान दिखा कर उसी के हिसाब से रेट मिलता था और सस्ता था उसे भी बेचना है आप दादर का भाजी मार्केट देखिए वहाँ कुछ समय सुबह तक खुब भाजी मिलता है जिसे जोमाटो और अन्य ऑनलाइन जो खाने का सामान देते है यहाँ तक की होटल भी निकला खुब लेते है सुबह में सुन्दर दीखता है और जैसे ही मुंबई महानगर के लोग सफाई के लिए आते है वो रोड पर मारा मारा फिरता है और क़ोई उसे भी लें जाता है शायद होटल के लिए अतः खाने पर बाहर का खाना ऑनलाइन खरीदने से बचें और जहाँ तक हो पैसे बचाने की कोशिश करें बहुत दुःख होता है जब अंग्रेजो की लड़ाई सब मिलकर लड़े फिर भी गुलामी सा महसूस क्यों होता है अमेरिका एक बार नहीं सौ बार कहता है कि हम भारत और पाकिस्तान का सीज़फायर कराई अमीर लोग अमीर बनते जा रहे हैं और मध्यम वर्ग पीस रहा है कुछ दिन पहले किसी मरीज की हालत ख़राब थी एम्बुलेंस समय पर नहीं रहा और अपनी गाड़ी थोड़ी सी इधर से उधर हुई और चलाना कट गया और ऐ क़ोई मामूली रकम नहीं होता है जबकी रोडो का इतना गहरा गढ़ा टुटा फूटा कहीं कहीं लाइट नहीं है इसका कौन जिम्मेदार है एक तरफ चलान काटा गया लेकिन रोड की हालत भी देखिए आम आदमी हर जगह मारा जा रहा है क्या खाएगा क्या कमायेगा महंगाई का मतलब है वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में सामान्य वृद्धि। इसे मुद्रास्फीति भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि एक ही राशि में अब कम सामान और सेवाएं खरीदी जा सकती हैं, क्योंकि कीमतें बढ़ गई हैं। ::सरकार द्वारा अधिक पैसा छापना या खर्च करना भी महंगाई का कारण बन सकता है। युद्ध और प्राकृतिक आपदाएं:युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के कारण आपूर्ति बाधित होने से कीमतें बढ़ सकती हैं। महंगाई का प्रभाव:खरीद शक्ति में कमी:महंगाई से लोगों की खरीद शक्ति कम हो जाती है, क्योंकि वे अब एक ही राशि में कम सामान खरीद पाते हैं। बचत पर प्रभाव:महंगाई से बचत का मूल्य कम हो जाता है, क्योंकि मुद्रा का मूल्य गिर जाता है। महंगाई गरीबों पर अधिक प्रभाव डालती है, क्योंकि उनके पास अपनी आय बढ़ाने के सीमित विकल्प होते हैं। :केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को बढ़ाकर और पैसे की आपूर्ति को कम करके महंगाई को नियंत्रित कर सकता है। :सरकार खर्च को कम करके और करों को बढ़ाकर महंगाई को नियंत्रित कर सकती है। :सरकार कुछ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को नियंत्रित कर सकती है और सब्सिडी प्रदान कर सकती है पेनाल्टी कम करे जो गलती से हुआ हो.उच्च महंगाई आर्थिक विकास को धीमा कर सकती है, क्योंकि यह निवेश और खपत को कम करती है।आर्थिक विकास पर जोड़ देना जरुरी है और हमेशा दूसरे देश की निर्भरता क़ो कम करना छोटे उद्योग क़ो बढ़ावा देना सेना क़ो यदि फ्री हैंड दिया है तो करने दीजिये उसे जो करना है जब मेरा सेना में सेकेंड लेफ्टिनेंट पर सिलेक्शन हेतु एस एस बी में गया तो इंटरव्यू लेने वाले ने साफ कह दिया था कम्युनिकेशन स्किल बहुत जरुरी है जो मुझमें कमी थी अतः उन्होंने बताया वहाँ इतना सोचने का टाइम नहीं होता है तुरंत ही दुश्मन पर हमला किया जाता है और कुछ भी मिस अंडरस्टैंडिंग हुई तो दुश्मन तुरन्त हमला कर देगा और अब सेना के प्रवक्ता से ही ऐ बात निकल कर आ रही है कि पाकिस्तानी सेना क़ो टारगेट ना करने व आतंकवादी क़ो टारगेट करने पर कुछ राफेल नस्ट हुए जबकी वहाँ की सेना ही आतंकवादी के लिए ही बनी है अतः सेना क़ो कभी इसप्रकार की आदेश देने की जरुरत नहीं है और उनके साथ हमेशा विश्वास करना चाहिए देश सर्वोपरि है उससे किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करनी चाहिए चाहे जंग कितनी लम्बी क्यों ना हो :सप्लाई चेन मॅनॅग्मेंट का सही आकलन और तकनिकी पर फोकस करना चाहिए ब्रिक देशों के सम्मेलन में जाने के बाद भी अमेरिका का डॉलर ही चलने वाला है और अमेरिका की तकनिकी क़ो अपने वैज्ञानिक द्वारा हासिल करना आखिर हम क्यों नहीं बना पा रहें है अपनी लड़ाकू विमान इसमें बीते सालों में अच्छा कार्य हुआ जैसे तेजस बना लेकिन इंजन कावेरी अमेरिका से आयात करना पड़ता है और यही सब कमजोरी का अमेरिका फायदा उठा लेता है और उधर चीन जो भारत का सबसे बड़ा दुश्मन है जब किसी वस्तु या सेवा की मांग, उसकी आपूर्ति से अधिक हो जाती है, तो कीमतें बढ़ जाती हैं। :कच्चे माल, श्रम या परिवहन की लागत में वृद्धि से भी कीमतें बढ़ सकती हैं।ऐसा नहीं है हमारे देश में प्रतिभा की कमी है लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल पृथ्वी और अग्नि के विकास में उनके योगदान के लिए उन्हें देश में ‘भारत के मिसाइल मैन’ के रूप में बहुत माना जाता था। उन्होंने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शुरुआती दिनों में इसे विकसित करने में भी योगदान दिया अतः अब जनता के पॉकेट क़ो खाली करने के बजाये सेना, वैज्ञानिक क़ो अधिक महत्व देना आवश्यक है। (यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है) .../ 12 जुलाई /2025