क्षेत्रीय
14-Jul-2025
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बारिश की पहली मार पहली झेल नहीं पाए, कार्यवाही कब और किस पर…? * निर्माण एजेंसी और अधिकारियों की हो रही कड़ी आलोचना कोरबा (ईएमएस) कोरबा जिले में एक के बाद एक घटित दो बड़ी घटनाओं ने बड़ी परियोजनाओं के निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठा दिए हैं। बार-बार की हिदायत और तमाम चेतावनी के बाद भी आखिर चूक किसने और क्यों की, यह तो जांच का विषय है लेकिन इससे पहले इन दोनों घटनाओं के लिए प्रारंभिक जवाबदेही किस पर तय होगी इसका इंतजार है। भारत माला प्रोजेक्ट के तहत निर्माणाधीन फोरलेन सड़क की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल की बारिश ने सड़क के कई हिस्सों, खासकर तरदा मुख्य मार्ग को बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है। सड़क के किनारे और मुख्य हिस्सों में दरारें और गड्ढे उभर आए हैं, जिससे स्थानीय लोग हैरान हैं और निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। लोग निर्माण एजेंसी और अधिकारियों की लापरवाही की कड़ी आलोचना कर रहे हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़क पर अभी वाहनों का आवागमन पूरी तरह शुरू नहीं हुआ है और निर्माण कार्य भी अधूरा है, फिर भी सड़क की हालत खराब हो चुकी है। यदि समय रहते मरम्मत और गुणवत्ता सुधार पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में बड़े हादसे हो सकते हैं। तरदा मुख्य मार्ग के अलावा, जिले में बन रही अन्य सड़कों पर भी ऐसी ही समस्याएं देखने को मिल रही हैं। एक स्थानीय निवासी ने कहा, “इतने बड़े प्रोजेक्ट में ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जिम्मेदार लोगों को जवाब देना होगा।” यह परियोजना रायपुर-विशाखापट्टनम कॉरिडोर का हिस्सा है, जिसमें कोरबा जिले के चांपा-कोरबा-कटघोरा मार्ग को शामिल किया गया है। यह सड़क क्षेत्र में आवागमन को सुगम बनाने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण है। स्थानीय लोग और सामाजिक संगठन निर्माण एजेंसी और जिला प्रशासन से तत्काल कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। लोगों ने मांग की है कि सड़क की मरम्मत के साथ-साथ निर्माण कार्य की गुणवत्ता की गहन जांच की जाए। इसके अलावा, निर्माण के दौरान होने वाली असुविधाओं को कम करने के लिए बेहतर प्रबंधन की भी जरूरत है। इसी कड़ी में इससे पहले कोरबा-रिसदी मार्ग में पुलिस पेट्रोल पंप के निकट 17 करोड़ रुपये की लागत से बने रानी अहिल्याबाई होलकर कन्वेंशन हॉल का छज्जा लोकार्पण के महज एक महीने बाद ही गिर गया। यह हादसा 10 जुलाई की देर रात हुआ, जब हॉल पूरी तरह खाली था। इस घटना ने निर्माण गुणवत्ता और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 12 जून 2025 को प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय द्वारा इसका लोकार्पण किया गया था। जिला खनिज न्यास निधि (डीएमएफ) से तैयार हुए इस भवन में अभी तक एकमात्र कार्यक्रम विश्व योगा दिवस पर हुआ है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, छत गिरने की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के रहवासी दहशत में आ गए। घटना की जानकारी मिलते ही निगम प्रशासन और छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी मौके पर पहुंचे। हाउसिंग बोर्ड ने इसका प्रारंभिक कारण लगातार बारिश और तकनीकी खामी बताया है, जबकि विशेषज्ञ इसे निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री के उपयोग का परिणाम मान रहे हैं। कन्वेंशन हॉल का निर्माण काफी धीमी गति से चल रहा था और बीच में कार्य भी बंद कर दिया गया था। आने वाले कलेक्टरों ने इसके निर्माण को पूरा कर उपयोग पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया, लेकिन कलेक्टर अजीत वसंत ने डीएमएफ से बन रहे कन्वेंशन हॉल के निर्माण कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए और उन्होंने इसका लोकार्पण कराते हुए उपयोग भी सुनिश्चित कराया। कलेक्टर के प्रयासों से ही उजाड़ होते जा रहे भवन का उपयोग नए पीएचई कार्यालय के रूप में शुरू हो पाया है। 14 जुलाई / मित्तल