अंतर्राष्ट्रीय
18-Jul-2025
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जाने क्या हैं दियाह या किसास सना (ईएमएस)। यमन में मौत की सजा का सामना कर रही भारतीय नर्स निमिषा प्रिया को फिलहाल के लिए राहत मिली है, क्योंकि 16 जुलाई को होने वाली उनकी फांसी को टाला गया है। उनकी जिंदगी अब दो इस्लामिक कानूनों दियाह (ब्लड मनी) या किसास (बराबर सजा) के बीच फंसी हुई है। दरअसल निमिषा प्रिया को अपने पूर्व बिजनेस सहयोगी और यमनी नागरिक तलाल अब्दो महदी की हत्या के जुर्म में मौत की सजा सुनाई गई है। अब तलाल के भाई अब्देल फतेह महदी ने निमिषा प्रिया के लिए किसास की मांग की है, जिसका अर्थ है कि वह फांसी की सजा पर अमल चाहते हैं। क्या है किसास का कानून? किसास शब्द कुरान से लिया गया है और इसका शाब्दिक अर्थ है बराबर सजा या आँख के बदले आँख। इस्लामी न्यायशास्त्र में, यह अपराध के मामले में दोषी को पीड़ित के बराबर सजा देने का समर्थन करता है। महदी का परिवार इस पर जोर दे रहा है, क्योंकि उनका मानना है कि निमिषा प्रिया ने हत्या के इरादे से ही तलाल को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया था और बाद में उसकी बॉडी को ठिकाने लगा दिया था। क्या है दियाह (ब्लड मनी)? दियाह (या दिया) एक दूसरा इस्लामी कानून है जिसका अर्थ है ब्लड मनी या पैसे के बदले में माफी देना। यह आमतौर पर तब दिया जाता है जब हत्या गलती से हुई हो। इसमें फैसला करने की पूरी आजादी पीड़ित के परिवार को होती है और समझौता सहमति से होता है। निमिषा की जान बचाने की उम्मीद अब तक दियाह पर टिकी हुई थी। निमिषा के वकीलों का कहना है कि तलाल अब्दो महदी उसका उत्पीड़न कर रहा था और उसने उसका पासपोर्ट भी कब्जे में ले लिया था। साल 2017 में निमिषा ने अपना पासपोर्ट वापस लेने के लिए महदी को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया, लेकिन ओवरडोज के कारण उसकी मौत हो गई। हालांकि, तलाल के भाई अब्देल फतेह महदी का परिवार दियाह के तहत किसी भी समझौते के लिए तैयार नहीं है और वे निमिषा के लिए किसास की मांग कर रहे हैं। आशीष दुबे / 18 जुलाई 2025