गाजा में मानवता के अपमान पर भारत का चुप रहना निराशाजनक नई दिल्ली,(ईएमएस)। यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी से गाजा संकट पर भारत से चुप्पी तोड़ने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजराइल पर किए गए हमले और बंधक संकट की कड़े शब्दों में निंदा होनी चाहिए, लेकिन गाजा में इजराइल के हमले भी उतने ही आपराधिक रहे हैं। पिछले दो सालों में 17 हजार बच्चों समेत 55 हजार से ज्यादा फिलीस्तीनी लोग मारे गए हैं। एक दैनिक अखबार में लिखे लेख में सोनिया गांधी ने कहा है कि गाजा की आवासीय इमारतें, अस्पताल और बुनियादी ढांचे को जानबूझकर तबाह किया गया है। उन्होंने लेख में लिखा कि इजराइली रक्षा बलों ने भोजन, दवा और ईंधन की आपूर्ति को नाकेबंदी से बाधित कर भुखमरी को हथियार बनाया। यह मानवता के खिलाफ अपराध है। संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता को रोकने और भोजन की तलाश में जुटे नागरिकों पर गोलीबारी की घटनाएं हृदयविदारक हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक गाजा में इजराइल का सैन्य अभियान जनसंहार जैसा है, जिसका उद्देश्य फिलीस्तीनियों का नस्ल का सफाया करना है। यह जनसंहार 1948 की नकबा त्रासदी की याद दिलाता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की निष्क्रियता इस संकट को और गहरा कर रही है। यूएन महासभा के युद्ध विराम प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के 26 जनवरी 2024 के निर्देशों को इजराइल ने नजरअंदाज किया है। अमेरिका का समर्थन इजराइल को बढ़ावा दे रहा है। दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील ने इजराइल को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में घसीटा, जबकि फ्रांस ने फिलीस्तीनी राज्य को मान्यता दी है। ब्रिटेन और कनाडा ने इजराइली नेताओं पर प्रतिबंध लगाए। इजराइल के अंदर भी युद्ध अपराधों के खिलाफ आवाजें उठ रही हैं, लेकिन भारत जो ऐतिहासिक रूप से वैश्विक न्याय का प्रतीक है वह इस संकट पर चुप है। भारत ने उपनिवेशवाद, रंगभेद और साम्राज्यवाद के खिलाफ वैश्विक आंदोलनों का नेतृत्व किया है। वर्ष 1974 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में भारत ने फिलीस्तीन मुक्ति संगठन को मान्यता दी और 1988 में फिलीस्तीन को आधिकारिक राज्य का दर्जा दिया। आज गाजा में मानवता के अपमान पर भारत का चुप रहना निराशाजनक है। यह संवैधानिक मूल्यों और नीति निर्देशक सिद्धांतों के प्रति उपेक्षा है। गाजा में तत्काल युद्ध विराम और मानवीय सहायता की जरूरत है। ग्लोबल साउथ भारत से नेतृत्व की उम्मीद कर रहा है। पीएम मोदी को भारत की ऐतिहासिक विरासत के अनुरूप साहसिक और स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए, ताकि गाजा के लोगों को न्याय मिले और भारत वैश्विक मंच पर फिर से नैतिक नेतृत्व का प्रतीक बने। सिराज/ईएमएस 29जुलाई25