मुंबई (ईएमएस)। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने जोर देकर कहा है कि आतंकवादियों के लिए भगवा शब्द का प्रयोग न करके सनातन या हिंदुत्ववादी शब्दों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी साफ किया कि चिदंबरम, सुशील कुमार शिंदे और दिग्विजय सिंह ने ‘भगवा आतंकवाद शब्द का उपयोग किया था, लेकिन मैं और मेरी पार्टी उस शब्द से सहमत नहीं थे और आज भी नहीं हैं। चव्हाण की यह टिप्पणी मालेगांव ब्लास्ट केस में आए कोर्ट के फैसले के बाद आई है जिसमें कोर्ट ने सभी दोषियों को बरी कर दिया है। एक समाचार चैनल से बातचीत में चव्हाण ने कहा, मेरे मुख्यमंत्री काल में ‘सनातन संगठन की आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता थी। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने के लिए मैंने एक गोपनीय रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजी थी। उसी संदर्भ में मैंने ‘सनातन शब्द का उपयोग किया था, क्योंकि उस संगठन का कार्य आतंकवादी प्रवृत्ति का था। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए था। उन्होंने डॉ। नरेंद्र दाभोलकर और कॉ। गोविंद पानसरे की हत्याओं का जिक्र भी किया। उन्होंने कहा उल्लेख करते हुए कहा कि उनके साथ क्या हुआ और आज तक न्याय क्यों नहीं मिला, यह गंभीर प्रश्न है। उन्होंने सवाल उठाया और कहा, ऑपरेशन सिंदूर पर सदन में चर्चा होनी थी, उसी समय मुंबई सीरियल ब्लास्ट और मालेगांव फैसले का आना संयोग है या साजिश? मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जब मालेगांव केस चल रहा था, तब जो बयान दिया था, उसका असर कोर्ट के निर्णय पर पड़ा हो, तो यह गंभीर मामला है। चव्हाण ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, बीते 15 वर्षों से अमित शाह केंद्रीय गृह मंत्री हैं, लेकिन इस अवधि में जांच एजेंसियों ने न्यायोचित कार्य नहीं किया है। ये सब सोची-समझी रणनीति के तहत किया गया है। मुंबई विस्फोट और मालेगांव दोनों मामलों में सरकार को उच्च न्यायालय में अपील करनी चाहिए। चव्हाण के अनुसार नाथूराम गोडसे की विचारधारा संघ की थी। सरदार वल्लभभाई पटेल ने एक समय संघ पर प्रतिबंध लगाया था। सुबोध\०२\०८\२०२५